Supreme Court ने बुधवार को कोविड से हुई मौतों के लिए मुआवजा को लेकर यूपी की Yogi Government को कड़ी फटकार लगाई है। कोरोना के भयावह दौर में इस महामारी से मारे गये मृतकों के आश्रितों को मुआवजा राशि को लेने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जिसे लेकर कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि यूपी सरकार इसके लिए सभी जिलों के स्थानीय अखबारों में विज्ञापन दे। कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में यूपी सरकार द्वारा कोविड-19 हुई मौतों के लिए बनाये गये एक पोर्टल के बारे उदासीनता दिखाने के लिए भी फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने कहा पीड़ितों को पोर्टल के बारे में जानकारी दी जाए
इस मामले में जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की बेंच ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि पीड़ितों को उस पोर्टल के बारे में जानकारी दी जाए ताकि वे मुआवजा प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकें।
मालूम हो कि यूपी के अतिरिक्त राज्यों में मुआवजा राशि देने के लिए मृतकों के परिजनों को लगातार जानकारी दी जा रही है। इसी को लेकर बेंच ने यूपी की योगी सरकार से कहा कि आप अन्य राज्यों की तरह विज्ञापन क्यों नहीं देते, जिसमें बताया गया हो कि यह पोर्टल है, यह शिकायत निवारण समिति है और आप संपर्क कर सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि आप आगे से प्रत्येक जिले के स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देंगे, जिसमें पोर्टल और शिकायत निवारण समिति आदि की पूरी जानकारी होगी।
कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से स्थानीय अखबारों में दिए गए विज्ञापन के बारे में पूछा
यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील अरधंदुमौली कुमार प्रसाद ने बेंच से कहा कि इस संबंध में सरकार को अब तक कुल 25,933 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 20,060 को भुगतान किया गया है। पीठ ने प्रसाद से स्थानीय अखबारों में दिए गए विज्ञापन के बारे में पूछा और कहा कि प्रसाद ने अवगत कराया है कि विज्ञापन दिए गए, जिनमें एक फोन नंबर दिया गया कि ये तहसीलदार का नंबर है।
पीठ ने कहा, ‘कौन टोल फ्री नंबर को उठाता है। हम आपसे कहते हैं कि अभी कॉल करिए और देखिए आप अभी फोन करिए। तहसीलदार को फोन करिए’।
इसके साथ ही कोर्ट ने कोविड से हुई मौतों के लिए मुआवजा राशि के वितरण को लेकर महाराष्ट्र सरकार की कार्य प्रणाली से भी नाखुशी जाहिर की। कोर्ट के सामने दो दस्तावेज रखे गये, उसके मुताबिक कोरोना मुआवजे के लिए 85,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से सिर्फ 1,658 दावों को महाराष्ट्र सरकार ने अनुमति दी।
पीठ ने इसे लेकर नाखुशी जताते हुए महाराष्ट्र सरकार को बुधवार तक प्राप्त सभी आवेदकों को 50,000 रुपये की मुआवजा राशि 10 दिनों के भीतर भुगतान करने के निर्देश दिए।
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