UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को लगातार बड़ा झटका लग रहा है। बीजेपी के पाले से मंत्री और विधायक इस्तीफा देकर सपा का दामन थाम रहे हैं। इसी कड़ी में लखीमपुर खीरी से पांच बार के विधायक बाला प्रसाद अवस्थी ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। लखीमपुरी खीरी से बीजेपी विधायक बाला प्रसाद अवस्थी (Bala Prasad Awasthi)भी सपा में शामिल होने वालों की लिस्ट में शामिल होने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अवस्थी सपा नेता व पूर्व मंत्री मनोज पांडेय के साथ समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंच गए हैं।
UP Election 2022: बाला प्रसाद अवस्थी के समाजवादी पार्टी में जाने की अटकलें तेज
बता दें कि उत्तर प्रदेश में इनदिनों सियासी उठापटक जारी है। बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। जबकि कई और नेताओं के सपा में जाने की चर्चा सियासी गलियारों में चल रही है। वहीं अब लखीमपुर खीरी से भाजपा विधायक बाला प्रसाद अवस्थी के सपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है।
UP Election 2022: बीजेपी से इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या 14 तक पहुंची
गौरतलब है कि गुरुवार दोपहर तक 4 विधायकों और मंत्रियों ने बीजेपी से इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देने वालों में आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी, विधायक मुकेश वर्मा, विनय शाक्य और बाला प्रसाद अवस्थी शामिल हैं।
बता दें कि वे सभी सपा कार्यालय पहुंचकर अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे हैं। मुकेश वर्मा शिकोहाबाद से विधायक हैं जबकि विनय शाक्य औरैया की बिधूना सीट से विधायक हैं। बीते कुछ दिनों में बीजेपी से इस्तीफे देने वाले विधायकों की संख्या 14 तक पहुंच गई है।
बीजेपी में भगदड़ की असली वजह स्वामी प्रसाद मौर्य को माना जा रहा है। वे मंगलवार को बीजेपी से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हो गए जिसके बाद से ही कई और नेताओं ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। बता दें कि मंगलवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया था कि “मेरे इस कदम से भाजपा में भूचाल आ गया है।”
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था कि “इस बार सभी शोषितों, वंचितों, उत्पीड़ितों, उपेक्षितों का ‘मेल’ होगा और भाजपा की बांटने व अपमान करनेवाली राजनीति के ख़िलाफ़ सपा की सबको सम्मान देनेवाली राजनीति का इंक़लाब होगा। बाइस में सबके मेल मिलाप से सकारात्मक राजनीति का ‘मेला होबे’!
ये भी पढ़ें: