UP Election 2022: Akhilesh-Jayant के बीच सीटों का हुआ बंटवारा, आरएलडी पश्चिमी यूपी की 32 सीटों पर उतार सकती है प्रत्याशी

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UP Election 2022 को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमती लगभग-लगभग बन गई है।

सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के बीच पश्चिमी यूपी के 32 विधानसभा क्षेत्रों को लेकर रजामंदी बन गई है। समझौते के मुताबिक जयंत चौधरी की आरएलडी कुल 32 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी, जिसे समाजवादी पार्टी का समर्थन होगा।

इसके साथ ही प्रदेश के अन्य सीटों पर सपा और गठबंधन के अन्य दल अपने प्रत्याशी उतारेंगे।

सपा-आरएलडी के बीच जिन 32 सीटों पर समझौता हुआ, वो इस प्रकार है-

अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच जिन संभावित सीटों पर सहमति बन गई है। वो इस प्रकार है। सहारनपुर में देवबंद और रामपुर मनिहारान। मुजफ्फरनगर में मुजफ्फरनगर शहर, पुरकाजी मीरापुर, खतौली और भुडाना।

बिजनौर में बिजनौर शहर और नेहटोर। मेरठ में मेरठ कैंट और सिवालखास। शामली में शामली और थाना भवन। बागपत में बागपत, छपरोली और बैरोत। गाजियाबाद में मोदीनगर, मुरादनगर और लोनी। हापुड़ में गढ़मुक्तेश्वर।

अमरोहा में नोगावा सादात। मुरादाबाद में काठ और बुलंदशहर में अनूपशहर और बुलंदशहर। अलीगढ़ में खेर और इगलास। हाथरस में सादाबाद। मथुरा में छाता, बलदेव और गोवर्धन वहीं आगरा में फतहपुर सीकरी और दयालबाग की सीटें आरएलडी के खाते में जाएंगी।

पश्चिमी यूपी में चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजीत सिंह का प्रभाव माना जाता है

पश्चिमी यूपी को जाट लैंड के नाम से जाना जाता है। जाट बाहुल्य इन विधानसभा क्षेत्रों पर पारंपरिक तौर से दिवंगत हो चुके चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजीत सिंह का प्रभाव माना जाता है।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव और साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अजीत सिंह के तिलिस्म को तोड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया था।

स्थिति तो यहां तक खराब हो गई थी की लोकसभा चुनाव में बागपत जैसी सीट भी अजीत सिंह को हारनी पड़ी थी। मौजूदा समय में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह वहां से भाजपा के सांसद हैं।

लेकिन मौजूदा समय में बीते एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के कारण समीकरण कुछ बदले हुए दिखाई दे रहे हैं।

पश्चिमी यूपी के गन्ना किसानों ने इस किसान आंदोलन में जिस तरह से अपनी ताकत झोंकी है, उससे तो एक बात स्पष्ट है कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए जरूर परेशानी खड़ी होने वाली है।

पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर के सिलौली गांव से ताल्लूक रखने वाले और इस समय किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे है चौधरी राकेश टिकैट की नाराजगी भी बीजेपी को भारी पड़ सकती है।

राकेश टिकैत की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है

देश के बड़े किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत ने जिस तरह से इस किसान आंदोलन का नेतृत्व किया है, उससे भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच पश्चिमी यूपी को लेकर मंथन का दौर जारी है।

बीते कुछ दिनों से मेघालय के राज्यपाल और पुराने समाजवादी नेता सतपाल मलिक ने जिस स्पष्ट तरीके से किसान आंदोलन को लेकर दो टूक सत्ता जाने की चेतावनी दी थी, वह भी भाजपा के लिए मुसिबत पैदा करने का सबब बन सकता है।

यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर को जेवर में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्धाटन के मौके पर पश्चिमी यूपी की जनता की नब्ज टटोलते दिखाई दिये।

खबरों के मुताबिक समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच सीटों के बंटवारे की जल्दी ही औपचारिक घोषणा हो सकती है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी यूपी में 62 सीटों की दावा कर रही थी वहीं समाजवादी पार्टी 30 से ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं थी। लेकिन अब दोनों ही दलों के बीच 32 सीटों पर सहमति बन गई है।

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