Supreme Court ने आज एक मामले की सुनवाई अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान से सख्त लहजे में पूछा कि क्या केंद्र सरकार सामुदायिक रसोई बनाने को लेकर कॉमन स्कीम लागू करने को लेकर गंभीर है या फिर नहीं?
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इसको लेकर योजना नहीं बनाती है तो कोर्ट इस पर आदेश जारी करने के लिए बाध्य हो जाएगा। हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं आप राज्यों के साथ सामुदायिक रसोई बनाने को लेकर कॉमन स्कीम तैयार करके 3 हफ्ते के भीतर हमारे सामने स्कीम की रूपरेखा पेश करें।
इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में सभी राज्य सरकारों को भी आदेश जारी किया कि वह केंद्र सरकार द्वारा बुलाई जाने वाली बैठक में शामिल हो और सामुदायिक रसोई को बनाने की स्कीम में अपना सहयोग दे।
SC सामुदायिक रसोई पर यूनिफॉर्म पॉलिसी चाहती है
सीजेआई एनवी रमना के साथ जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने केंद्र सरकार के अवर सचिव के द्वारा इस मामले में हलफनामा दाखिल करने पर भी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस रमना ने केंद्र को सुझाव दिया कि इस योजना के लिए फण्ड को लेकर केंद्र राज्यों से बात कर सकता है कि इस योजना में केंद्र और राज्यों के द्वारा एक-दूसरे को कितना पैसा और खाद्यान्न देंगे।
उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार से इस मामले पर यूनिफार्म पॉलिसी चाहते हैं। आप राज्य सरकारों से स्कीम को लागू करने के तरीके और उसे लागू करने में लगने वाले समय जैसे मामलों पर विचार विमर्श कर सकते हैं।
सीजेआई ने कहा कि लोग भूख के कारण मर रहे हैं, हम भूख को लेकर चिंतित हैं। यह कुपोषण का मामला नहीं है। यह भूख के लिए है, लोग भूख के कारण मर रहे हैं। कुपोषण और भूख अलग-अलग चीजे हैं, इन दोनों मुद्दों को आपस में न जोड़ें।
भारत में भुखमरी से हर रोज कई बच्चों की मौत हो जाती है
वही कोर्ट की नाराजगी पर पेश हुए अटॉर्नी जनरल ने बताया कि केंद्र 4 हफ्तों में इसके लिए एक योजना बना सकता है। यह राज्यो की जिमेदारी है कि सभी राज्य भी इसमें पूरा सहयोग करें।
सुप्रीम कोर्ट अनुन धवन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में दावा किया गया है कि भारत में हर रोज भुखमरी और कुपोषण के चलते पांच साल तक के कई बच्चों की जान चली जाती है और यह स्थिति नागरिकों के भोजन एवं जीवन के अधिकार समेत कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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