जिस तेज गति से आप और हम पानी की बर्बादी कर रहे हैं उससे तो यहीं लगता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को पीने के लिए भी पानी नसीब नहीं होगा। इसका मुख्य कारण बढ़ती आबादी को माना जा सकता है। दिन प्रतिदिन लोग किस कदर पानी की किल्लतों से जूझ रहे हैं इसका नजारा आपको शिमला में देखने को मिल जाएगा। आलम यह है कि अब शिमला के लोग सैलानियों को शिमला न आने के लिए विनती कर रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर लिखकर अनुरोध कर रहे हैं कि सैलानी शिमला न आकर कहीं और जाएं, क्योंकि यहां पानी की बहुत कमी है। बता दें कि शिमला पिछले 8 दिन से पानी की भारी किल्लतों से जूझ रहा है।

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लोगों ने अनुरोध करते हुए कहा, कि कृपया यहां आने की जगह कहीं ओर जाइए, यहां पहले ही पानी की बहुत कमी है। लोगों ने कहा, कि शिमला में उनकी जरूरत का पानी ही नहीं जुट पा रहा है। नहाने का पानी तो दूर लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं।

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विदित है कि शिमला शहर को 25,000 हजार लोगों के हिसाब से बसाया गया था। लेकिन शिमला नगर निगम के मुताबिक शहर की आबादी अब 1.72 लाख तक पहुंच चुकी है। सिर्फ इतना ही नहीं गर्मी की छुट्टियों में यहांआने वाले पर्यटकों की संख्या एक लाख के पार हो जाती है। ऐसे में पर्यटकों की संख्या बढ़ने पर यहां 45 एमएलडी (मिलियन लीटर्स डे) पानी की मांग प्रतिदिन और बढ़ जाती है।

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इस मामले में शिमला के रहने वाले भैरव दत्त (78) ने लिखा, कि सरकार को इस मामले में एक एडवाइजरी जारी करनी चाहिए। साथ ही किसी भी पर्यटक के यहां आने पर रोक लगानी चाहिए। लोगों ने कहा कि उन्हें पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही, ऐसे में पर्यटक यहां आकर उनकी परेशानी बढ़ा रहे हैं।

बताया जा रहा है कि मांग के चलते प्राइवेट ऑपरेटरों ने पानी के रेट दोगुने कर दिए हैं। 4000 लीटर क्षमता वाले जिस टैंकर का रेट पहले 2500 रुपये था उसके लिए अब 5000 रुपये तक वसूला जा रहा है। वहीं इस बारे में होटल संचालकों का कहना है कि पानी की किल्लत की वजह से जिन्होंने कमरे की एडवांस बुकिंग की थी वे अब कैंसिल कर रहे हैं। वहीं पानी की कमी के कारण शिमला शहर के 30 रेस्टोरेंट बंद कर दिए गए हैं।

वहीं शिमला के पूर्व मेयर टिकेन्द्र पंवार ने जल संकट के बारे में बताया, कि शिमला में गुम्मा, गिरी, अश्विनी खाड, चुर्ता और सिओग जैसेपांच मुख्य स्त्रोतों से पानी आता है। इन सभी के पानी की क्षमता 65 मिलियन लीटर पर डे है, जबकि शिमला में हर दिन पानी की मांग 45 एमएलडी है। लेकिन इसके बावजूद भी शिमला को केवल 35 एमएलडी पानी की सप्लाई ही हो पाती है। जिसमें से भी कई एमएलडी पानी पम्पिंग और वितरण के दौरान बर्बाद हो जाता है। यहीं मुख्य कारण है कि लोगों तक पानी कम पहुंच पा रहा है।

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