‘स्किन टू स्किन टच’ के बिना यौन शोषण रेप नहीं, फैसला देने वाली Bombay High Court की जज जस्टिस Pushpa V Ganediwala नहीं बन सकेंगी स्थायी जज

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Pushpa V Ganediwala: स्किन टू स्किन टच के बिना किया गया यौन शोषण रेप नहीं मानते हुए फैसला देने वाली बॉम्बे हाई कोर्ट की अस्थायी जज जस्टिस Pushpa V Ganediwala अब स्थायी जज नहीं बन सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस बाबत आज फैसला लिया। हालांकि पिछली बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला का प्रोबेशन पीरियड एक साल और बढ़ा दिया था। कॉलेजियम के फैसले के बाद अब न तो उनका प्रोबेशन पीरियड बढ़ाया जाएगा और ना ही उनको परमानेंट जज बनाया जाएगा।

Pushpa V Ganediwala को प्रोन्नति के बाद निचली अदालत से बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में अस्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया था। दरअसल जस्टिस गनेडीवाला ने पॉक्सो मामले में स्किन टू स्किन टच के आधार पर दिए गए अपने उस फैसले में कहा था कि चूंकि रेप के आरोपी से पीड़ित का स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट नहीं हुआ है इसलिए उसे रेप नहीं माना जा सकता। इस फैसले को लेकर AG ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की। जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस विवादास्पद फैसले को रद्द कर दिया था।

Pushpa V Ganediwala ने क्या कहा था?

Pushpa V Ganediwala ने अपने एक फैसले में 19 जनवरी 2021 को कहा था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के बिना छूना POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया था साथ ही इसे गलत भी बताया था।

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