भारत में हो रही हथियारों की कमी, वजह बनी Make In India नीति: रिपोर्ट

केंद्र सरकार की योजना के अनुसार 30 से 60% कलपुर्जों को देश में बनाने का आदेश है। यह इस पर निर्भर होता है कि सैन्य की कैसी खरीद है और इसे कहां से खरीदा जा रहा है।

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Make In India: भारत में हो रही हथियारों की कमी, वजह बनी Make In India नीति: रिपोर्ट
Make In India: भारत में हो रही हथियारों की कमी, वजह बनी Make In India नीति: रिपोर्ट

Make In India: भारत की रक्षा प्रणाली को लेकर ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट सामने आयी है। जिसमें भारत को लेकर बड़ी बात कही गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना, थलसेना और नौसेना पुराने पड़ रहे हथियारों को बदलने के लिए कुछ जरूरी हथियार तंत्र आयात नहीं कर पा रही है। इसके कारण साल 2026 तक भारत के पास हेलीकॉप्टर्स की भारी कमी हो जाएगी और साथ ही 2030 तक सैकड़ों लड़ाकू विमान कम पड़ जाएंगे।

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Make In India: हथियारों की खरीद पर पर कैसे असर डाल रही मेक इन इंडिया नीति?

बता दें कि साल 2014 में सत्ता में प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद मोबाइल फोन से लेकर फाइटर जेट तक देश में बनाने के लिए “मेक इन इंडिया” नीति लायी गयी थी। इसका उद्देश्य अधिक रोजगार पैदा करना और विदेशी मुद्रा को देश से बाहर जाने से रोकना था। मगर 8 साल बाद दुनिया में सैन्य हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश रहा भारत अभी भी अपनी जरूरतों को पूरा करने लायक हथियार स्थानीय स्तर पर बना नहीं पा रहा है। इसके साथ ही सरकार के नियम आयात को रोक रहे हैं।

केंद्र सरकार की योजना के अनुसार 30 से 60% कलपुर्जों को देश में बनाने का आदेश है। यह इस पर निर्भर होता है कि सैन्य की कैसी खरीद है और इसे कहां से खरीदा जा रहा है। देश में पहले ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं थी और फिर भारत ने रक्षा खरीद की लागत घटाने के लिए घरेलू स्तर पर निर्माण का तंत्र प्रयोग किया। भारत की सैन्य तैयारी पहले से भी कम होने वाली है वो भी तब जब पाकिस्तान और चीन की तरफ से भारत खतरे का सामना कर रहा है।

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बता दें कि भारत की सेना ने कुछ सैन्य सामानों के लिए स्थानीय स्तर पर खरीद बढ़ा दी है, लेकिन देश में फिलहाल अभी भी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी और दो इंजन वाले फाइटर जेट्स के निर्माण का मंच तैयार नहीं है।

भारत की विदेश से लड़ाकू विमान खरीदने की योजना एक ओर धरी हुई है क्योंकि मोदी सरकार चाहती है कि वायुसेना देश में बने एक इंजन वाले फाइटर जेट अपना ले। जो कि सप्लाई में कम हैं, जबकि डबल इंजन वाले फाइटर प्लेन का भारत में अभी निर्माण नहीं होता है।

जानकारी के मुताबिक, बेंगलुरु में डिफेंस निर्माण कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हर साल सिर्फ 8 स्वदेशी फाइटर जेट तेजस बना सकती है। कंपनी ने साल 2026 तक अपनी निर्माण क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। मगर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी सप्लाई चेन की वजह से इसमें और देरी हो सकती है।

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