मणिपुर हिंसा की जांच के लिए SIT गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट, समिति में एक महिला जज भी होंगी शामिल

Manipur Violence: मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार (31 जुलाई) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए कहा कि हिंसा की जांच के लिए एसआईटी...

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supreme court on manipur violence
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Manipur Violence: मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार (31 जुलाई) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए कहा कि हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जाएगा। इसमें एक महिला जज को भी शामिल करने की बात कही गई है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में हिंसा पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इस बीच चीफ जस्टिस ने कहा कि मणिपुर राज्य में हीलिंग टच की भी जरूरत है। राज्य में हिंसा बेरोकटोक चल रही है। ऐसे में अदालत की ओर से नियुक्त समिति से यह संदेश जाएगा की सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर ध्यान दिया है।

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Supreme Court on Manipur Violence

Manipur Violence: राज्य में जीवन का पुनर्निर्माण करने की जरूरत -CJI

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि समिति गठित करने के दो तरीके हो सकते हैं। यहां हम खुद समिति का गठन कर रहे हैं। जिसमें महिला जज और डोमेन विशेषज्ञ भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि महिला या पुरुष से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन महिलाएं होनी चाहिए, क्योंकि वो पीड़ितों के साथ बातचीत करेंगी। CJI ने कहा कि एसआईटी का गठन सिर्फ यह पता लगाने की कोशिश के संदर्भ में नहीं है कि राज्य में क्या हुआ है। बल्कि हमें वहां जीवन का पुनर्निर्माण करने की भी जरूरत है।

CJI ने केंद्र सरकार से किया सवाल

सीजेआई ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि हमें यह जानने की जरूरत है कि 6000 एफआईआर में कितनी जीरो एफआईआर हैं और कितनी न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास भेजी गई हैं, कितनी यौन हिंसा जुड़ी हैं और कितने लोग न्यायिक हिरासत में हैं, 164 के तहत के कितने लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं?

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने इंफाल कार वॉश की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे पास समय की कमी है। मैंने इंफाल कार वॉश की घटना के बारे में पढ़ा है, वहां क्या हुआ इस पर कौन बयान देगा?

सांप्रदायिक संघर्ष का शिकार केवल एक समुदाय नहीं होता-SC

अदालत ने कहा कि इस हिंसक कृत्य पर जाति आदि से ऊपर उठकर ध्यान देना हमारा कर्तव्य है। हमें पता है कि कुकी आदि से वरिष्ठ लोग सामने आए हैं, लेकिन आश्वस्त रहें कि हम किसी भी जाति या समुदाय के बावजूद इस पर गौर करेंगे। कोर्ट ने कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष की स्थिति में आप यह नहीं मान सकते है कि केवल एक समुदाय के लोग ही इसका शिकार होते हैं।

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