Farmers Protest: किसानों ने आज 29 नवंबर को प्रस्तावित संसद तक ट्रैक्टर मार्च को वापस ले लिया लेकिन किसान अभी भी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले गुरुपर्व के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का एलान किया था। इस बाबत कैबिनेट ने फैसले को मंजूरी दे दी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी आज बताया कि सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए विधेयक सदन में पेश करेगी। कृषि मंत्री ने आज यह भी बताया कि किसानों की ओर से की जाने वाली मांग कि पराली जलाने को अपराध न माना जाए भी केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गयी है।
आइए किसानों की उन बाकी बची मांगों के बारे में आपको बताते हैं जिन्हें अगर केंद्र सरकार मान ले तो किसान आंदोलन पूरी तरह खत्म हो जाएगा-
- खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए।
- सरकार द्वारा प्रस्तावित “विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021” का ड्राफ्ट वापस लिया जाए।
- दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, यूपी और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को वापस लिया जाए।
- लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
- इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहीद हो चुके हैं। उनके परिवारों के लिए मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन।
पीएम मोदी ने मांगी थी माफी
मालूम हो कि पीएम मोदी ने किसानों से कहा था कि इस माह के अंत मे होने वाले संसद सत्र में कानून वापसी की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि शायद हम किसानों को समझा नहीं पाए, इसलिए हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। बिल वापसी की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने देश की जनता से माफी भी मांगी थी।
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