सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट द्वारा सरकारी अधिकारियों को अनावश्यक रूप से कोर्ट नहीं बुलाया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस पर नाराजगी भी जताई है। कहा है कि एक अदालत के प्रति आप में खुद सम्मान होना चाहिए। इसे सम्मान को मांगा नहीं जाता है।
बार-बार अफसरों को तलब करना जनहित के भी खिलाफ है। इससे कई जरूरी कामों में देरी हो सकती है।’ जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच ने यह बातें कहीं है। बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव को पेश होने के नोटिस को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा, कुछ उच्च न्यायालयों द्वारा अफसरों को बार-बार तलब करने की परंपरा को सही नहीं कह सकते।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि‘अफसरों को तलब करना और उन पर अपनी इच्छा अनुरूप आदेश पारित करवाने का प्रत्यक्ष या परोक्ष दबाव डालना बेहद गलत है। यह एक तरह से न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों के बंटवारे की सीमा का उल्लंघन किया जा रहा है। सरकारी अधिकारी प्रशासन के पक्ष में फैसला लेना गलत है। अधिकारियों के जो फैसले न्यायिक समीक्षा में खरे न हों उन्हें खारिज करने का अधिकार हमेशा न्यायालय के पास रहा है। लेकिन अफसरों को बार-बार तलब करने की सराहना नहीं की जा सकती।