UP ELECTION 2022 में भारतीय जनता पार्टी. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त नूराकुश्ती होने वाली है। सभी दल जीत के अपने-अपने दावे और समीकरण के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोंकने की तैयारी में है। इस बीच खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महात्वाकांक्षा एक बार फिर कुलांचे भर रही है।
मिस्टर क्लीन के नाम से मशहूर नीतीश कुमार साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में जनता दल युनाइटेड का झंडा लेकर पहुंचे थे लेकिन यूपी की जनता ने नीतीश कुमार की झोली में एक भी सीट नहीं दी थी। यूपी में जेडीयू के उम्मीद्वार जितनी भी सीटों पर किस्मत आजमा रहे थे, सभी की जमानत तक जब्त हो गई थी। तब ऐसे में प्रश्न में उठता है कि आखिर किस आधार पर नीतीश बाबू फिर से जेडीयू का तीर-कमान लेकर यूपी फतह करने आ रहे हैं।
नीतीश कुमार भी हैं “पीएम मैटेरियल”
दरअसल सियासत जैसी दिखाई देती है, वैसी होती नहीं है और जैसी होती है, वैसी दिखाई नहीं देती। जी हां, सियासत के दावपेंच को समझना सभी के बस की बात नहीं है। वैसे नीतीश बाबू जैसे धुरंधर इस खेल में शह और मात का खेल भी बड़े करीने से खेल जाते हैं और सामने वाला मात खाकर आह नहीं भर पाता। तो अब बात करते हैं नीतीश कुमार के इस चुनावी बिसात की।
जेडीयू कोटे से केंद्र में मंत्री बने आरसीपी सिंह इन दिनों दिल्ली की फिजा में कुछ ज्यादा ही खो गये हैं। नीतीश बाबू भले ही बिहार के मुख्यमंत्री हों लेकिन खुद को “पीएम मैटेरियल” से कम मानते भी नहीं हैं तो पीएम मोदी से अंदरखाने वाली टशन तो आज भी वैसी ही है।
ऐसे में उन्हीं के पार्टी के नेता उन्हीं की मेहरबानी से केंद्र में मंत्री बने आरसीपी सिंह अगर पीएम मोदी का राग गाएंगे तो नीतीश कुमार को दर्द तो होगा ही। लेकिन राजनीति में दर्द भी मिले तो मुस्कुराना पड़ता है, यही राजनीति की शर्त होती है। इसलिए नीतीश कुमार मुस्कुराते हुए ही प्रेम से यूपी चुनाव के बहाने आरसीपी सिंह को निपटा भी देना चाहते हैं।
जेडीयू को यूपी चुनाव में चाहिए 25 सीटें
इसलिए दिल्ली में जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व की बैठक में आरसीपी सिंह को जिम्मेदारी पकड़ा दी गई की आप बीजेपी से बात करके यूपी में चुनावी बिगुल फुंकने की तैयारी करिये। पार्टी चाहती है कि आरसीपी सिंह बीजेपी से बात करें कि एनडीए गठबंधन में होने के नाते बीजेपी यूपी चुनाव में जेडीयू को कम से कम 25 सीटें दें। वैसे एनडीए गठबंधन के मुताबिक तो सीटों के कैलकुलेशन का कांटा 50 पर ठहरता है लेकिन जेडीयू 25 सीटों पर भी संतोष कर लेगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जेडीयू की दिल्ली में हुई बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, महासचिव केसी त्यागी के साथ-साथ आरसीपी सिंह भी मौजूद थे। पार्टी बैठक में सर्वसम्मती से फैसला लिया गया कि यूपी में बीजेपी से टिकट बंटवारे पर आरसीपी सिंह ही बात करेंगे।
जेडीयू कुर्मी वोट के सहारे कर रही है दावा
दरअसल जब से आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने हैं उनके सुर बदले-बदले नजर आ रहे हैं। इसी कारण जेडीयू के शीर्ष नेतृत्व ने उनके पर कतरने के लिए यह काम पकड़ा दिया है। जबकि सभी जानते हैं कि यूपी में भाजपा जेडीयू को घास तक नहीं डालने वाली है।
जहां तक बात कुर्मी वोटबैंक का है तो उसके लिए भाजपा ने पहले से ही अपना दल की अनुप्रिया पटेल को केंद्र में मंत्री बनाकर सेटिंग पक्की कर रखी है। इसलिए प्रश्न ही नहीं उठता कि बीजेपी जेडीयू को एक भी सीट यूपी में देगी। वैसे “राजनीति में सभी विकल्प खुले होते हैं” वाला मामला कहीं भी लागू हो सकता है। यही कारण है कि जेडीयू ने बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर दावेदारी ठोंक दी है और पार्टी उम्मीदवार भी तलाश रही है।