गुजरात में वेंदाता और फॉक्सकॉन बनाएगी Semiconductors, 1.5 लाख करोड़ के निवेश का ऐलान, जानिए क्यों भारत दिखा रहा है चिप निर्माण में इतनी रुचि

दिसंबर 2021 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) ने देश में सेमीकंडक्टर्स/अर्द्धचालकों (Semiconductors) और डिस्प्ले के उत्पादन के इकोसिस्टम (Display Manufacturing Ecosystems) के विकास के लिये एक व्यापक कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी.

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मंगलवार 13 सितंबर 2022 को गुजरात के गांधीनगर में भारतीय कंपनी वेंदाता और ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन द्वारा 1.54 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ सेमीकंडक्टर (Semiconductors) और डिस्प्ले फैब्रिकेशन का उत्पादन करने के लिए प्लांट लगाने को लेकर गुजरात सरकार के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए.

फॉक्सकॉन

ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन दुनिया की अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माण कंपनियों में से एक है. फॉक्सकॉन भारत में पहले से काम कर रही है और इसके तीन प्लांट दो अलग-अलग राज्यों में कार्य कर रहे हैं. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में लगाए गए इन संयत्रों में एपल, शाओमी और अन्य कंपनियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाए जाते हैं. फॉक्सकॉन ग्रुप भारत में लगातार अपना निवेश बढ़ा रहा है.

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भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री

भारत के सेमीकंडक्टर बाजार के वर्ष 2026 तक 63 बिलियन डॉलर (5 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचने का अनुमान है. वर्ष 2020 में यह महज 15 बिलियन डॉलर (1 लाख 15 हजार करोड़) का था. अभी दुनिया के अधिकतर देश सेमीकंडक्‍टर के लिए ताइवान जैसे कुछ देशों पर निर्भर है. पिछले कुछ समय से चिप की किल्लत के चलते ऑटो और स्मार्टफोन इंडस्ट्री का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

दिसंबर 2021 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) ने देश में सेमीकंडक्टर्स/अर्द्धचालकों (Semiconductors) और डिस्प्ले के उत्पादन के इकोसिस्टम (Display Manufacturing Ecosystems) के विकास के लिये एक बड़े कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी.

दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने बताया था कि सरकार द्वारा अगले छह वर्षों में सेमीकंडक्टर्स और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए 76,000 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.

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अर्द्धचालक / सेमीकंडक्टर

सेमीकंडक्टर का उपयोग डायोड, ट्रांजिस्टर और एकीकृत सर्किट सहित विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है. इस तरह के उपकरणों को उनकी कॉम्पैक्टनेस, विश्वसनीयता, बिजली दक्षता और कम लागत के कारण व्यापक रूप से प्रयोग में लाया जाता है. अलग-अलग घटकों के रूप में, इनका उपयोग सॉलिड-स्टेट-लेजर सहित बिजली उपकरणों, ऑप्टिकल सेंसर और प्रकाश उत्सर्जक (LED) में किया जाता है.

सेमीकंडक्टर फैब्स और डिस्प्ले फैब्स

सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्रिकेशन के लिए लगने वाली कंपनियों को सरकार द्वारा परियोजना लागत के 50 फीसदी तक की वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना है.

केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर जमीन और सेमीकंडक्टर-ग्रेड वाटर (Semiconductor-Grade Water) जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे वाले हाई-टेक क्लस्टर स्थापित करने के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी.

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन

आधुनिक होती दुनिया में बदलती महत्वाकांक्षाओं के बीच भारत ने भी Semiconductors और डिस्प्ले के उत्पादन के मामले में एक सतत् प्रणाली विकसित करने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) शुरू किया है.

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन का नेतृत्व सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले उद्योग के क्षेत्र से जुड़े वैश्विक विशेषज्ञ कर रहे हैं. इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन देश में सेमीकंडक्टरों एवं डिस्प्ले प्रणाली पर आधारित योजनाओं के कुशल एवं सुचारू कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है.

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन राशि Production Linked Incentive

भारत सरकार द्वारा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के तहत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के लिये आईटी हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स और सेमीकंडक्टर्स (SPECS) योजना और संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना के लिये 55,392 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन सहायता को मंजूरी दी गई है.

कितना जरूरी

रूस-यक्रेन के मध्य चल रहे युद्ध और वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में, सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले के विश्वसनीय स्रोत बड़ा सामरिक महत्व रखते हैं जो देश के सूचना तंत्र के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिये भी जरूरी है.

भारत में सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले निर्माण प्रणाली के विकास का वैश्विक मूल्य श्रंखला के साथ गहन एकीकरण के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक प्रभाव पड़ेगा.

यह रणनीतिक महत्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता के इन क्षेत्रों में भारत के तकनीकी नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त करेगा.

भारत अभी अपनी जरूरतों का अधिकांश चिपों के हिस्सों के साथ-साथ भारतीय संचार व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण प्रणालियों में उपयोग किये जाने वाले घटकों का आयात किया जाता है.

विदेश से आयातित होने वाली चिपों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को बाधित करने का भी खतरा रहता है, क्योंकि चिप विनिर्माण के दौरान गुप्त सूचनाओं की जानकारी हासिल करने को लेकर चिपों में प्रोग्राम किया जा सकता है, जो नेटवर्क और साइबर सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है.

भारतीय का इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र वर्ष 2023-24 तक 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर (32 लाख करोड़ रुपए) को पार करने की उम्मीद है.

घरेलू उत्पादन वर्ष 2014-15 में 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में लगभग 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर (5.36 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गया है.

आयात से निपटना

भारत अभी सबसे ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों का आयात करता है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक्स आयात भारत में आयातित सबसे बड़े मद के रूप में कच्चे तेल से आगे निकल जाएगा.

कोविड महामारी के बीच बढ़ी मांग

कोविड-19 महामारी ओर लंबे समय तक चले लॉकडाउन के चलते दुनिया के शीर्ष चिप उत्पादकों, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और अमेरिका सहित अन्य देशों में महत्त्वपूर्ण चिप बनाने वाली सुविधाओं को बंद कर दिया गया.उत्पादन बंद होने के चलते दुनियाभर में चिप की कमी उत्पन्न हुई जिससे बड़े-बड़े कारखानों में उत्पादन पर असर पड़ने लगा.

चीन विरोधी भावनाएं

कोविड -19 के बादद बदलते वैश्विक परिदृश्य और भारत-चीन के बीच सीमाओं पर जारी संघर्ष और इसके परिणामस्वरूप हाल के घटनाक्रमों के चलते, कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पादन को चीन से बाहर स्थानांतरित कर रही हैं.

मेक इन इंडिया को बढ़ावा

भारत में असेंबली इकाइयों के साथ-साथ सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देने के पिछे सरकार का मकसद भारत में निर्माण कार्यक्रम को बढ़ावा देना है, जिसके चलते अधिक से अधिक स्थानीय उत्पादन को बल मिलेगा और समग्र रूप से उद्योग के विकास को बढ़ावा मिलने का साथ-साथ मेक इन इंडिया कार्यक्रम सफल हो सकेगा.

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वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019 को मंजूरी दी थी. नीति के तहत भारत सरकार देश को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण के लिये एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहती है.

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