Instant Loan Apps | जानिए क्यों तुरंत कर्ज देने वाली ऐप्स के चक्कर में फंस रहे है भारतीय और इन अवैध कंपनियों की जांच कर रहे गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के बारे में

केंद्र सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भी आदेश दिया गया है वह यह सुनिश्चित करें कि ऐप स्टोर से सिर्फ वो ही Instant Loan Apps डाउनलोड हों, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से वैध घोषित किया गया है.

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Instant Loan Apps | जानिए क्यों तुरंत कर्ज देने वाली ऐप्स के चक्कर में फंस रहे है भारतीय और इन अवैध कंपनियों की जांच कर रहे गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के बारे में - APN News

पिछले कुछ दिनों से देश के कई हिस्सों में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की जांच एजेंसियों द्वारा अवैध तरीके से चल रही तुरंत कर्ज (Instant Loan) देने के बहाने लोगों को ठग रही शेल कंपनियों पर लगातार छापेमारी की जा रही है. इसके साथ ही गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office) ने चीन से संबध रखने वाली शेल (मुखौटा) कंपनियों की स्थापना करने और नकली निदेशकों की आपूर्ति से जुड़े एक बड़े रैकेट के कथित मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है.

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को सरकार ने जिलियन हांगकांग लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के गुरुग्राम, फिनिन्टी प्राइवेट लिमिटेड के बेंगलुरु एवं हसीज कंसल्टिंग लिमिटेड के हैदराबाद कार्यालयों और 30 अन्य कंपनियों में छापेमारी और जब्ती अभियान चलाया था. इसी आदेश के तहत ये सब कार्रवाई की जा रही है.

9 सितंबर को हुई एक बैठक में वित्त मंत्री ने अवैध लोन ऐप्स (Illegal Loan Apps) के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विशेष रूप से कमजोर और निम्न आय के वर्ग के लोगों को ऊंची ब्याज दरों एवं प्रोसेसिंग/छिपे हुए शुल्कों पर ऋण/माइक्रो क्रेडिट की पेशकश करने वाले अवैध लोन ऐप एवं उनके द्वारा ब्लैकमेलिंग, आपराधिक धमकी जैसे वसूली व्यवहारों पर चिंता जताते हुए कार्रवाई के निर्देश दिये.

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बेंगलुरु पुलिस द्वारा लगभग दर्जन भर केस दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने भी इन मामलों का संज्ञान लिया और पिछले महीने इस मामले में कई बड़ी फिनटेक कंपनियों के दफ्तरों पर छापेमारी की.

शेल यानी मुखौटा कंपनियां

शेल यानी मुखौटा कंपनियां ऐसी कंपनियां या संस्थाएं होती हैं, जिनके पास उनका अपना न तो कोई सक्रिय व्यवसाय होता है और न ही उनके पास कोई स्थायी संपत्ति होती है. यही कारण है कि इस प्रकार की कंपनियां हमेशा संदेह के दायरे में रहती हैं, क्योंकि इनमें से कुछ कंपनियों का या तो धनशोधन (Money Laundering) या सरल शब्दों में कहे तो कर चोरी एवं अन्य अवैध गतिविधियों के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है.

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गैर कानूनी कर्ज ऐप्स

पिछले कुछ दिनों में लगातार कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जहां पर मोबाइल ऐप्स लोगों की मौतों का कारण बन रहे हैं. कई मामलों ऐसा पाया गया कि लोन पूरा चुकाने के बावजूद इन कंपनियों ने कर्जदारों का पीछा नहीं छोड़ा और उनकी जानकारी को सार्वजनिक करने की धमकी दी. इसी वजह से कई लोगों ने खुदकुशी भी कर ली.

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जीवन में कई बार आपाताकालीन स्थित आ जाने के कारण लोग वित्तीय संकट (Financial Crisis) में फंस जाते हैं, ओर इससे निकलने के लिए उन्हें कर्ज का सहारा लेना पड़ता है. आज के डिजिटल युग में कई ऐसे तुरंत कर्ज देने वाले ऐप्स (Instant Loan Apps) बाजार में आ गए हैं, जो घर बैठे मिनटों में लोन देने का झांसा देते हैं. जरूरतमंद आदमी इनके झांसे में आ जाता है और फिर कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं.

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तुरंत कर्ज (Instant Loan)

इन गैर कानूनी लोन ऐप्स के माध्यम से लोगों को तुरंत कर्ज (Instant loan) दिये जाने का वादा किया जाता है. ऐप के माध्यम से लोन देने वाले ऊंची दरों पर ब्याज वसुलते है इसके अलावा ये ऐप्स निर्माता कंपनियां कर्ज लेने वाले व्यक्ति के मोबाइल के पूरे एक्सेस की अनुमति मांगती हैं, जिसे देने के बाद ये ऐप्स आप के फोन से फोटो और सभी व्यक्तिगत डेटा चोरी कर लेते हैं. इस चोरी किये गए डेटा के बदले में ये कंपनियां लोगों को ब्लैकमेल करती है और पैसे की मांग की जाती है.

सख्ती के निर्देश

देश में लगातार बढ़ रहे गैर कानूनी ऐप्स की तादात को देखते हुए केन्द्र सरकार अब इन मामलों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है. भारतीय रिजर्व बैंक और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर केन्द्र सरकार ने इन ऐप्स पर लगाम लगाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.

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सरकार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक को भी गैर कानूनी लोन ऐप्स की सूची जारी करने के निर्देश दिये गए हैं, ताकि लोगों को गैर कानूनी लोन ऐप्स को लेकर जागरूक किया जा सके.

ऐप्स स्टोर से होंगे केवल कानूनी ऐप्स डाउनलोड

केंद्र सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भी आदेश दिया गया है वह यह सुनिश्चित करें कि ऐप स्टोर से सिर्फ वो ही Instant Loan Apps डाउनलोड हों, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से वैध घोषित किया गया है. इसके साथ ही इन गैर कानूनी ऐप्स के खिलाफ धनशोधन, टैक्स चोरी के मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. ईडी ने 3 सितंबर को बेंगलूरु स्थित कई बड़ी कंपनियों के दफ्तरों में छापेमारी की थी.

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गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office)

कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत, 21 जुलाई 2015 को जारी भारत सरकार की एक अधिसूचना के माध्यम से, भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) के अधिकार क्षेत्र के तहत, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय की स्थापना की गई थी.

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को शुरूआत में भारत सरकार द्वारा 2 जुलाई, 2003 को एक प्रस्ताव के माध्यम से स्थापित किया था. लेकिन उस समय एसएफआईओ को औपचारिक कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं था.

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 211 ने गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को वैधानिक दर्जा दिया है.

एसएफआईओ का नेतृत्व भारत सरकार के संयुक्त सचिव (Joint Secretary) स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाता है.

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गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन (Multi-disciplinary Organisation) हैं जिसके तहत कराधान, कानून, सूचना प्रौद्योगिकी, कंपनी कानून, वित्तीय क्षेत्र, पूंजी बाजार, लेखा, फॉरेंसिक ऑडिट (Forensic audit), कस्टम एवं जांच से संबंधित विशेषज्ञ शामिल हैं.

किस आधार पर जांच करता है गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय?

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 208 के तहत रजिस्ट्रार या निरीक्षक (Registrar or Inspector) की रिपोर्ट के आधार पर.

यदि केंद्र सरकार की राय है कि किसी कंपनी की जांच करना आवश्यक है तो वह गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को संबधित कंपनी/कंपनियों के मामलों की जांच सौंप सकती है.

किसी कंपनी द्वारा पारित एक विशेष प्रस्ताव की सूचना पर कि कंपनी के मामलों की जांच जरूरी है.

जनहित में, या केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के किसी विभाग के अनुरोध पर.

एसएफआईओ का मुख्यालय नई दिल्ली में है, एवं पांच क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता में हैं.

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के पास कंपनी कानून के उल्लंघन के मामलों में लोगों को गिरफ्तार करने का भी अधिकार है.

गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के अधिकारियों को उनकी जांच में सहायता और सेवा प्रदान करने के लिये कंप्यूटर फोरेंसिक एवं डेटा माइनिंग प्रयोगशाला (CFDML) की स्थापना वर्ष 2013 में की गई थी.

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