Modi Government के पूर्व मंत्री ने ‘Socialist’ शब्द को ‘Equitable’ करने का दिया प्रस्ताव, Tejashwi Yadav ने VIDEO जारी कर बोला हमला, कहा- सरकार की चोरी Parliament में पकड़ी गयी

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बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ युवा नेता Tejashwi Yadav ने केंद्र की Modi Government पर हमला करते हुए बड़ा आरोप लगाया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में चोरी से संविधान के मूल ढांचे को बदलने का प्रयास किया है।

दरअसल राज्यसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के द्वारा संविधान संशोधन संबंधी विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद इस विधेयक को रिजर्व में रखना पड़ा। बीजेपी सांसद द्वारा प्रस्तुत किए गए एक निजी विधेयक में संविधान की प्रस्तावना में शामिल किए गए ‘सोशलिस्ट’ शब्द को संशोधित करके उसकी जगह ‘इक्वीटेबल’करने का प्रस्ताव रखा गया था।

मोदी सरकार के पूर्व मंत्री ने संविधान प्रस्तावना से ‘सोशलिस्ट’ शब्द को हटाकर ‘इक्वीटेबल’ करने का प्रस्ताव रखा

इस मामले पर ट्वीट करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, ‘केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा संविधान बदलने की एक चोरी कल संसद में पकड़ी गयी जब इन्होंने संविधान की प्रस्तावना जिसे इसकी आत्मा कहा जाता है उसमें से “समाजवादी” शब्द को हटाने का संविधान संशोधन विधेयक पेश किया लेकिन हमारे सजग और सतर्क सदस्यों ने कड़ा विरोध कर इस विधेयक को वापस कराया।’

संविधान (संशोधन) विधेयक 2021 (प्रस्तावना में संशोधन) को पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य केजे अलफांस ने पेश किया। जब उपसभापति हरिवंश ने इस निजी विधेयक को चर्चा की मंजूर के लिए सदन में ‘हां’ और ‘ना’ करने के लिए घोषणा की।

तभी राजद सांसद मनोज झा ने आपत्ति दर्ज कराते हुए ‘ना’ वालों की संख्या अधिक होने की बात कही। उपसभापति हरिवंश ने मनोज झा से उनकी आपत्तियां जाननी चाही, जिस पर मनोज झा समेत कई विपक्षी सदस्यों ने कहा कि यह निजी विधेयक संविधान की प्रस्तावना में संशोधन की बात करता है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है।

उपसभापति हरिवंश ने कहा, सदन में कोई भी सदस्य विधेयक पेश करने के लिए स्वतंत्र है

तब उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदन में कोई भी सदस्य विधेयक पेश करने के लिए स्वतंत्र है और उस विधेयक का विरोध करने के लिए अन्य सदस्यों को पूरा अधिकार है।

इसके बाद मनोज झा ने सदन में तिरुचि सिवा, वाईको समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ विरोध करते हुए कहा कि विधेयक को पेश करने देने का अधिकार चेयर को है न कि राज्यसभा सचिवालय को।

राजद नेता मनोज झा ने नियमों का हवाला देकर कहा कि यह संविधान के मूल ढांचे पर सीधे-सीधे हमला है। संविधान में इस तरह के संशोधन के लिए राष्ट्रपति की अनुमति लेनी जरूरी है। लेकिन उपसभापति ने उनकी इस बात को खारिज करते हुए कहा कि यह सदन का अधिकार है। इसके लिए राष्ट्रपति की पहले से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।

एमडीएमके सदस्य वाईको ने मनोज झा के विरोध का समर्थन किया

वहीं मनोज झा की बातों का समर्थन करते हुए एमडीएमके सदस्य वाईको ने इसे बेहद गंभीर मसला करार दिया। वाइको ने कहा कि आपको इस तरह के विधेयक को पेश करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। वहीं सदन में हो रहे शोर शराबा के बीच अल्फांस अपनी बात रखने की मांग करते रहे।

जब विपक्षी सदस्य शांत नहीं हुए तो अंत में संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि विधेयक को रिजर्व कर लिया गया। विधेयक की मेरिट को देखते हुए इसे बाद में मंजूर किया जा सकता है। उपसभापति हरिवंश ने व्यवस्था देते हुए कहा कि सदन की अगर यही राय है तो इसे रिजर्व करते हुए इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा।

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