किसान आंदोलन को एक साल पूरे, कानून वापसी के बाद अब MSP पर अटकी बात

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कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का एक साल पूरा।

किसान आंदोलन को एक साल पूरे होने पर आज एक बार फिर किसान दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा हुए। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा तो कर दी है लेकिन किसान अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं। वे अपनी अन्य मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं।

किसानों का आंदोलन अभी जारी है

अमृतसर, जालंधर, फिरोजपुर, पटियाला, लुधियाना सहित पंजाब और हरियाणा के कई शहरों और उत्तर प्रदेश से हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे हुए हैं। इस दौरान दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और जिन जगहों पर प्रदर्शनकारी किसान धरने पर बैठे, वहां दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की गयी है।

किसानों को सरकार के बुलावे का इंतजार

तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी ऐसा मालूम होता है किसानो को लगता है कि उनकी जीत आधी ही है। एमएसपी के बिना उनकी जीत अधूरी है। किसान अभी वापस लौटने को तैयार नहीं हैं। एपीएन से खास बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी सहित किसानों की सभी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर उन्हें बैठे हुए एक साल हो गया है। सरकार ने तीनों कृषि कानूनो को वापस लेने की घोषणा भले ही कर दी है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी समेत कई अन्य मुद्दों पर सरकार ने मौन धारण किया हुआ है। जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक किसान दिल्ली की सीमाओं से हटने वाले नहीं हैं।

योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर ने क्या कहा?

मौके पर मौजूद संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी को किसानों की बड़ी जीत बताया। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने उम्मीद जतायी कि सरकार आगे भी किसानों की बात सुनेगी और किसानों की मेहनत खाली नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि एमएसपी को लेकर कानून बनाना किसानों के हित में होगा।

MSP के लिए भी किसानों ने कस ली है कमर

सरकार उम्मीद कर रही थी कि उसके दो कदम आगे चलने पर किसान खुले दिल से स्वागत करेंगे और अपना धरना समाप्त कर देंगे। लेकिन किसान जिस तरह से तमाम लाव-लश्कर के साथ फिर से आ जुटे हैं, उससे तो यही लगता है कि एमएसपी की लड़ाई लंबी चलेगी। किसान जिस तरह से कृषि कानूनों की वापसी को अपने आंदोलन की, अपने हौसले की , अपनी ताकत की जीत मान रहे हैं, लगता है किसान एमएसपी की लड़ाई के लिए सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश करेंगे। ऐसे में किसानों को उम्मीद है सरकार पहले की तरह एक साल उन्हें धरने पर बैठने के लिए विवश नहीं करेगी, बल्कि जल्दी ही समाधान खोजने की कोशिश करेगी।

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