Delhi High Court में उठा तब्लीगी जमात का मुद्दा, HC ने Delhi Police से पूछा सवाल

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Delhi High Court ने दिल्ली से कोरोना लॉकडाउन के दौरान तब्लीगी जमात के विदेशी लोगों को पनाह देने पर दर्ज हुई FIR को रद्द करने की मांग के मामले में सवाल-जवाब किया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस से पूछा कि बीते वर्ष कोरोना लॉकडॉउन के समय दिल्ली में हुई तब्लीगी जमात की बैठक में शामिल होने के लिए वैध वीजा पर भारत आए विदेशी नागरिकों को यदि किसी भारतीय ने अपने घर पर आश्रय दिया तो उसे उसके लिए पहले पुलिस से परमिशन लेना अनिवार्य था।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को हलफनामा दायर करने के लिए कहा

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्पष्ट पूछा कि क्या उस समय किसी विदेशी नागरिक को भारतीय के द्वारा शरण देने में कोई प्रतिबंध लगा था। अगर ऐसा कोई प्रतिबंध था तो दिल्ली पुलिस इस मामले में हलफनामा दाखिल करे। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 4 जनवरी दे दी।

मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस मुक्ता ने कहा कि पुलिस द्वारा सामग्री रिकार्ड पर पेश किए जाने के बाद वह इसमें आदेश पारित करेंगी। कोर्ट में दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए सरकारी वकील ने बताया कि पुलिस जब मौके पर पहुंची तो स्थानीय लोगों ने यह नहीं बताया कि विदेशी जमाती उनके परिसरों में कब से रह रहे हैं।

जस्टिस मुक्ता ने नाराजगी जताते हुए कहा, आपके अधिकारी जांच अधिकारी बनने लायक नहीं है

सरकारी वकील के इस दलील पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो आपके अधिकारी जांच अधिकारी बनने लायक नहीं है। जस्टिस मुक्ता ने कहा कि जांच अधिकारी विदेशी जमातियों के पासपोर्ट की इंट्री चेक कर सकते थे। उनकी लोकेशन जानने के लिए कॉल रिकार्ड डाटा की जांच कर सकते थे।

इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस के द्वारा आधे-अधूरे सबूत पेश करने से काम नहीं चलेगा। कोर्ट के सामने पुलिस को यह दिखाना होगा कि लॉकडाउन लगने के बाद विदेशी जमाती यहां-वहां घूम रहे थे। वह वैध वीजा पर भारत आए थे। अगर वे यहां रह रहे थे तो आप बिना किसी ठोस सबूत के यह नहीं कह सकते कि वे प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे थे।

कोर्ट ने पूछा क्या वैध वीजा पर भारत आए विदेशियों को घर में शरण देना प्रतिबंधित था ???

इस संबंध में याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने भी निजामुद्दीन मरकज के संबंध में आयोजकों पर आईपीसी और महामारी के कथित उल्लंघन के लिए एफआईआर दर्ज की है।

इसके बाद अदालत ने संबंधित डीसीपी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए पूछा कि क्या किसी याचिकाकर्ता का नाम भी अपराध शाखा की एफआईआर में है। इसके साथ ही डीसीपी यह भी बताएं कि क्या वैध वीजा पर भारत आए विदेशियों को उस समय अपने घर में शरण देना प्रतिबंधित था ???

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