Chatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary: आधुनिक नौसेना के जनक और कट्टर महिला समर्थक थे छत्रपति शिवाजी राजे महाराज……..पुण्‍यतिथि पर सादर नमन

Chatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary: पूरा राष्ट्र आज छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्‍य तिथि पर उन्‍हें याद कर रहा है।

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Chatrapati Shivaji
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Chatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary: पूरा राष्ट्र आज छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्‍य तिथि पर उन्‍हें याद कर रहा है। भारत के इतिहास में एक ऐसा पराक्रमी योद्धा जिसने पूरे भारत को एक अलग पहचान दिलाई और साथ ही मराठा साम्राज्‍य की नींव मजबूत करने में अहम योगदान भी दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में जितनी भी कहानियां कहीं जाएं वे कम ही हैं। बचपन से एक साहसी, निडर और देशभक्ति की भावना को मन में संजोए शिवाजी ने पूरे भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने का सपना देखा था।

मुगलों के हर हमले का बेहद साहस के सामने करने और दुश्‍मन को उसीके घर पर जाकर पछाड़ने में शिवाजी की बराबरी कोई भी नहीं कर सकता है। इन्‍हीं गुणों के बीच उनमें एक ऐसा गुण भी छिपा हुआ था, जिसे हम सभी के लिए जानना
बेहद जरूरी है। वह गुण था महिलाओं का सम्‍मान और देश की मजबूत सेना, इसी क्रम में 16वीं सदी के उस दौर में उन्‍होंने ही आधुनिक नौसेना की नींव रख डाली थी।

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Chatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary: आधुनिक नौसेना के जनक

शिवाजी पहले हिंदुस्तानी शासक थे जिन्होंने नौसेना की अहमियत को पहचाना और अपनी मजबूत नौसेना का गठन किया। उन्होंने महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र की रक्षा के लिए तट पर कई किले बनाए जिनमें जयगढ़, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और अन्य स्थानों पर बने किले शामिल थे।

Chatrapati Shivaji Maharaj Death Anniversary: महिला सम्मान के कट्टर समर्थक

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शिवाजी ने महिलाओं के प्रति किसी तरह की हिंसा या उत्पीड़न का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने अपने सैनिकों को सख्ती से निर्देश दे रखा था कि किसी गांव या अन्य स्थान पर हमला करने की स्थिति में किसी भी महिला को नुकसान नहीं पहुंचाया जाए। महिलाओं को हमेशा सम्मान के साथ लौटा दिया जाता था।

अगर उनका कोई सैनिक महिला अधिकारों का उल्लंघन करता पाया जाता था तो उसकी कड़ी सजा मिलती थी। एक बार उनका एक सैनिक एक मुगल सूबेदार की बहु को ले आया था। उसने सोचा था कि उसे शिवाजी को भेंट करूंगा तो वह खुश होंगे। लेकिन हुआ इसका उल्टा। शिवाजी ने उस सैनिक को खूब फटकारा और महिला को सम्मान के साथ उसके घर पहुंचा कर आने को कहा।

मिठाई के टोकरे में छिपकर औरंगजेब को ठेंगा दिखाकर भागे

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मुगल सम्राट औरंगजेब का ताउम्र इस बात का अफसोस रहा कि वे शिवाजी राजे को पकड़ नहीं सका। इसी क्रम में एक बहुत ही मशहूर किस्‍सा है।औरंगजेब ने उन्‍हें एक पत्र भेजकर आगरा आने का निमंत्रण दिया। इसके पीछे उसकी गहरी साजिश छिपी थी। लेकिन शिवाजी तो म‍हान शिवाजी राजे थे।

9 मई 1666 को शिवाजी अपने कुछ घुड़सवारों के साथ आगरा पहुंचे। शिवाजी को औरंगजेब के तेवर तभी समझ आ गए, जब 9 मई को उसने व्यस्तता का बहाना बनाकर शिवाजी से मिलने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसने 12 मई को शिवाजी को दरबार में पेश होने का बुलावा भेजा। शिवाजी नियत समय पर मुगल दरबार पहुंचे।

चंद लम्हों की मुलाकात में ही औरंगजेब समझ गया था,कि वे कोई आम इंसान नहीं हैं। अगर उन्‍हें आजाद छोड़ दिया गया तो आने वाले वक्त में ये मुगलों के लिए बड़ी मुसीबत का कारण बन सकता है। नीचा दिखाने के लिए औरंगजेब ने अपने दरबान से कहा कि शिवाजी को दरबार में पीछे खड़ा करने का आदेश दिया। ये वो जगह थी, जहां तीसरे दर्जे के मनसबदार खड़े हुआ करते थे।

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शिवाजी को औरंगज़ेब से इतने रूखेपन की उम्मीद नहीं थी।क्‍यांकि खत में उसने जहां इतनी मीठी-मीठी बातें लिखीं, वहीं दरबार में उसने शिवाजी से बहुत रूखा बर्ताव किया। शिवाजी ने राम सिंह से पूछा कि उन्हें इतना पीछे क्यों खड़ा किया गया है? जिस पर राम सिंह ने बताया कि वो पांच हजारी मनसबदारों के बीच खड़े हैं।

शिवाजी, जिनका नौकर तक पांच हजारी मनसबदार था, अपने इस अपमान से बहुत गुस्‍सा हुए और दरबार से निकलकर अपने कक्ष में चले गए। औरंगज़ेब को जब ये पता चला तो उसने राम सिंह से कहा कि शिवाजी को उनके निवास स्थान में भिजवा दिया जाए।

Chatrapati Shivaji Death Anniversary

शिवाजी के लिए रहने की व्यवस्था आगरा से बाहर जयपुर सराय में की गई थी। अगले कुछ दिनों में शिवाजी के भवन को मुगल सेना ने चारों तरफ से घेर लिया। शिवाजी को नजरबंद कर दिया गया। इस बीच औरंगजेब ने शिवाजी जो कई पत्र भेजे, ताकि वो शिवाजी को भड़का सके।

वे कुछ ऐसी हरकत करें, जिससे उसे शिवाजी को मारने का बहाना मिल जाए। शिवाजी को इसका अंदेशा पहले से ही था इसलिए उन्होंने भी कूटनीति का सहारा लिया। औरंगजेब को ऐसा दर्शाया जैसे कि वो बहुत खुश हैं। उन्होंने मुगल अफसरों को मिठाइयां बांटनी शुरू कीं. औरंगज़ेब को ख़त लिखा कि उन्हें आगरे का मौसम रास आ रहा है.

उन्होंने बादशाह को एक और दरख्वास्त भेजी। औरंगजेब से कहा कि वह अपनी पत्नी और मां को भी आगरा बुलाना चाहते हैं। अपने साथ आए मराठा घुड़सवारों को वापस भिजवाना चाहते हैं। ये सुनकर औरंगजेब को लगा कि शिवाजी उसके चंगुल में फंस चुके हैं।अगले कुछ दिनों में शिवाजी की तबीयत खराब हो गई। शिवाजी अपने बिस्तर पर ही लेटे रहते. पहरेदारों को उनकी कराहने की आवाजें आतीं।

उनकी सलामती के लिए रोज सराय से साधुओं को मिठाई और फलों की टोकरियां भेजी जातीं। ऐसा सिलसिला कई हफ़्ते चला. शुरू-शुरू में पहरेदारों ने टोकरियों की तलाशी ली. लेकिन जब रोज ऐसा होने लगा तो उन्होंने भी ढील देनी शुरू कर दी।आखिर 19 अगस्त 1666 में शिवाजी ने मुगल पहरेदारों को एक संदेश भिजवाया। इसमें कहा गया कि उन्हें आराम करने दिया जाए और कोई उनके शयन कक्ष में न आने पाए।
शिवाजी ने अपने सौतेले भाई हीरोजी फरज़ाद को अपनी जगह पर लेटाया। हीरोज़ी और शिवाजी की कदकाठी लगभग एक जैसी थी। हीरोज़ी एक कम्बल ओढ़कर लेट गए. उनका सिर्फ एक हाथ कम्बल के बाहर था, जिसमें उन्होंने शिवाजी के कड़े पहने हुए थे। इसके बाद शिवाजी खुद एक फलों की टोकरी में छुप गए।

दूसरी टोकरी में संभाजी को छुपाया। रोज की तरह फल और मिठाई की टोकरियां भवन से बाहर भेजी गईं. टोकरियां रोज आती थीं, इसलिए किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया।टोकरियों में बैठकर शिवाजी को आगरा से दूर पहुंचा दिया गया। जहां से वे मथुरा, इलाहाबाद होते हुए वापस राजगढ़ पहुंच गए। सन 1674 में रायगढ़ किले में उनका राज्याभिषेक हुआ और उन्हें छत्रपति की उपाधि दी गई।

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