NATO में शामिल होना चाहते हैं स्वीडन और फिनलैंड, इरादों की भनक से रूस आग बबूला

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Vladimir Putin
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रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के आक्रोश से यूक्रेन राख का ढेर बन गया है। हर तरफ तबाही का मंजर है। NATO का फेर यूक्रेन को ले डूबा है। पुतिन की आक्रामकता और यूक्रेन की बर्बादी से यूरोप के कई देश भयभीत हैं। स्वीडन और फिनलैंड भी घबराए हुए हैं और नाटो में शामिल होना चाहते हैं। स्वीडन और फिनलैंड के इरादों की भनक से रूस आग बबूला है।

रूस ने दो टूक कह दिया है कि नाटो में शामिल हुए तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो। पुतिन के करीबी दिमित्री मेदवेदेव ने सीधे धमकी दी है कि स्वीडन और फिनलैंड NATO के सदस्य बने तो परमाणु और हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात की जाएंगी। बाल्टिक सागर में थल और वायु सेना को मजबूत किया जाएगा। बाल्टिक सागर के किनारे पोलैंड और लिथुआनिया के बीच एक छोटे से हिस्से कलिनिनग्राद पर रूस ने बड़ा मिलिट्री बेस बना रखा है।

NATO गठबंधन में शामिल होने से स्वीडन और फिनलैंड कतराते रहे हैं

दावा किया जाता है कि रूस ने इस सैन्य अड्डे पर परमाणु हथियारों को तैनात कर रखा है। हालांकि मेदवेदेव ने उम्मीद जताई है कि फिनलैंड और स्वीडन समझदारी दिखाएंगे। दरअसल अभी तक NATO गठबंधन में शामिल होने से स्वीडन और फिनलैंड कतराते रहे हैं। दरअसल इसी साल जून में NATO का सम्मेलन मैड्रिड में होना है। सम्मेलन से पहले ही NATO प्रमुख स्टोल्नटेनबर्ग के एक बयान ने पारा बढ़ा दिया।

स्टोल्नटेनबर्ग ने कहा था कि यदि स्वीडन और फिनलैंड नाटो में शामिल होना चाहते हैं तो ऐसा संभव हो सकता है, प्रक्रिया भी जल्द पूरी की जा सकती है। फिनलैंड रूस के साथ 1,300 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। फिनलैंड की पीएम सना मारिन का कहना है कि उनका देश नाटो में शामिल होने को लेकर अगले कुछ हफ्तों में फैसला करेगा। हमें रूस की ओर से हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। नाटो में शामिल होने के विकल्प का सावधानी से विश्लेषण किया जाना चाहिए।

रूस के परमाणु हथियार तैनात करने वाले बयान पर लिथुआनिया ने पलटवार किया और कहा कि रूस की इस तरह की धमकी कोई नई बात नहीं है। लिथुआनिया बेशक रूस की धमकी को हल्के में ले रहा हो लेकिन नाटो की वजह से युद्ध झेल रहे यूक्रेन का हाल किसी से छिपा नहीं है। 40 लाख से अधिक लोग शरणार्थियों का जीवन बिता रहे हैं।

समूचे विश्व में तेल और गैस के दामों में जबरदस्त उछाल दिख रहा है। यूक्रेन के पड़ोसी देशों में खाने-पीने का सामान कम हो गया है। ऐसे में फिनलैंड और स्वीडन नाटो की सदस्यता को लेकर कदम बढ़ाते हैं तो रूस उन्हें भी यूक्रेन की तरह सबक सिखा सकता है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की नाटो की सदस्यता के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल चुके हैं, लेकिन फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होने के लिए बेचैन हैं। दरअसल इन्हें लग रहा है कि पुतिन की आक्रामकता से नाटो का सैन्य कवच ही उन्हें बचा सकता है।

जाहिर है अगर फिनलैंड और स्वीडन को लेकर जंग छिड़ी तो इस बार माहौल कुछ और ही होगा। नाटो और रूस की सीधी जंग बहुत कुछ तबाह कर सकती है यानी इस वक्त दुनिया बड़े खतरे के मुहाने पर खड़ी नजर आ रही है।

https://www.youtube.com/watch?v=SfcRfmxvWlk

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