Uphaar Cinema Fire Tragedy: सज़ा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका कोर्ट ने की खारिज

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Allahabad High Court

Uphaar Cinema Fire Tragedy: उपहार सिनेमा कांड मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में दी गई सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में अंसल बंधुओ और अन्य को दी गई सजा की अपील पर सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। दरअसल दिल्‍ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमाघर अग्निकांड मामले में सुशील और गोपाल अंसल को सबूतों के साथ छेड़छाड़ का दोषी मानते हुए 7 साल कैद की सजा सुनाई थी।
इस आदेश को सेशन कोर्ट में चुनोती दी गई थी।

मालूम हो कि पटियाला हाउस कोर्ट ने उपहार अग्नि कांड मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए अंसल बंधुओ को सात-सात साल की सजा सुनाई है और साथ ही उन पर 2.25-2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल 8 अक्टूबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने सुशील और गोपाल अंसल समेत पांच लोगों को उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने का दोषी करार दिया था। इस मामले में कोर्ट ने अंसल बंधुओें के साथ कोर्ट के एक पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा, पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी दोषी करार दिया था।

दोषी सज़ा के हकदार हैं: CMM Pankaj Sharma

उपहार कांड पर सजा सुनाते वक्त जज ने टिप्पणी करते हुए कहा यह मामला काफी लम्बे समय से चल रहा था। मामले की जटिलताओं की वजह से इस मामले के निष्कर्ष पर पहुंचना असान नहीं था। CMM पंकज शर्मा ने कहा कि कई रातों तक इस मामले पर सोच विचार करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सका है कि दोषी सज़ा के हकदार हैं।

आखिरकार 24 साल बाद उपहार हादसे में इंसाफ़

केस में सबूतों के साथ छेड़छाड़ के मामले में दोषी असंल बधुओं- सुशील और गोपाल अंसल को पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 साल की सज़ा सुनाई। दोनों को 2.25-2.25 करोड़ का जुर्माना भी देना होगा। मुख्य केस से राहत पा चुके अंसल अभी जेल से बाहर थे। इसके अलावा CMM पंकज शर्मा ने मामले के अन्य आरोपी कोर्ट के पूर्व कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा, पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी 7-7 साल की सजा सुनाई है।

उपहार सिनेमा में 59 लोगों की मौत हुई थी

दिल्ली के उपहार सिनेमा (Delhi’s Uphaar Cinema) में 13 जून 1997 को हिन्दी फिल्म बॉडर की स्क्रीनिंग के दौरान 59 दर्शकों की मौत हो गई थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज की गई थी। जिसमें IPC की धारा 120-बी, 109, 201 और 409 के तहत अपराध करने का मामला दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट में यह मामला उपहार त्रासदी पीड़ित एसोसिएशन (AVUT) की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने दाखिल किया था।

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