पंजाब DGP की नियुक्ति के मामले में Supreme Court का अहम फैसला, IPS अधिकारियों की याचिका खारिज

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पंजाब के DGP के रूप में दिनकर गुप्ता की नियुक्ति के खिलाफ दाखिल की गई याचिका को Supreme Court ने खारिज कर दिया है। Dinkar Gupta की नियुक्ति के खिलाफ IPS अधिकारी Mohammad Mustafa और Siddharth Chattopadhyay ने याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने इस याचिका पर सुनवाई की। चरणजीत सिंह चन्नी के पंजाब के मुख्यमंत्री बनने के बाद अक्टूबर 2021 में दिनकर गुप्ता छुट्टी पर चले गए थे।

सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने कहा कि चट्टोपाध्याय को पैनल में शामिल करने के लिए अयोग्य माना गया था क्योंकि सुरेश अरोड़ा जोकि डीजीपी पद के चयन के लिए पैनल समिति के पदेन सदस्य थे, वह उनके खिलाफ पक्षपाती थे।

चयन योग्यता के आधार पर किया गया: UPSC

UPSC के लिए पेश हुए ASG अमन लेखी ने 2009 के Draft Guidelines प्रस्तुत किए। प्रकाश सिंह फैसले का तर्क देते हुए उन्‍होंने कहा कि दिशानिर्देशों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया था और दिनकर गुप्ता का चयन योग्यता के आधार पर किया गया था और दुर्भावना से ग्रसित नहीं था।

पंजाब DGP की नियुक्ति का मामला

7 फरवरी 2019 को UPSC की सिफारिशों के आधार पर पंजाब सरकार ने दिनकर गुप्ता को पंजाब का DGP नियुक्त किया था। वो पंजाब कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी है। UPSC और सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए IPS अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के पास पहुंचे थे। CAT ने डीजीपी की नियुक्ति काे नियमाें का उल्लंघन बताया था। कैट के आदेश से दुखी यूपीएससी, पंजाब राज्य और दिनकर गुप्ता ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। 6 नवंबर 2020 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कैट के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें दिनकर की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था।

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