Delhi में बहने लगी जहरीली बयार, एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरे के पार

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Pollution In Delhi: दिवाली से पहले ही राजधानी की हवा हुई जहरीली, आनंद विहार में AQI लेवल पहुंचा खतरनाक स्तर पर
Pollution In Delhi: दिवाली से पहले ही राजधानी की हवा हुई जहरीली, आनंद विहार में AQI लेवल पहुंचा खतरनाक स्तर पर

देश की राजधानी Delhi में जैसे ही ठंड ने दस्तक दी। वैसे ही दमघोटूं हवा एक बार फिर फिजाओं में तैरने लगी है। हर साल के इतर इस साल तो दिल्ली की आबोहवा दिवाली से पहले ही खराब नजर आने लगी है।

यही कारण है कि कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरे के निशान को पार कर गया है। जिसके कारण यहां रहने वाले लोगों को सांस लेने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रह है।

दिल्ली के साथ नोएडा और गाजियाबाद का भी वही हाल

इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इस बार दिवाली के बाद राजधानी की हवा और भी खराब हो सकती है।

दिल्ली की इस आबोहवा की जद में नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहर भी आ गये हैं। गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एक्‍यूआई 352 तो वहीं नोएडा के सेक्‍टर 116 में 250 और ग्रेटर नोएडा में भी एक्‍यूआई 240 दर्ज किया गया है।

दिल्ली के आंकड़ों पर नजर डालें तो मंगलवार की सुबह दिल्‍ली के सोनिया विहार में एक्‍यूआई 300 दर्ज किया गया, तो वहीं दक्षिण दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में 265 रहा। दिल्ली के कुछ इलाकों में तो वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद ही खराब श्रेणी के पार पहुंच गया है।

जानकारी के मुताबिक बीते 1 नवंबर को मौसम विभाग ने आने वाले दो-तीन दिनों तक दिल्ली की हवा की गुणवत्ता और खराब रहने का अनुमान जताया था।

इस मामले में विभाग का कहना है कि 4 नवंबर तक दिल्ली का AQI यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘खराब’ श्रेणी में रह सकता है।

क्या होती है हवा की गुणवत्ता

हवा की गुणवत्ता शून्य और 50 के बीच में है तो इसे ‘अच्छा’ माना जाता है। वहीं अगर यह 51 और 100 के बीच होता है तो‘संतोषजनक कहा जाता है।

वहीं 101 और 200 के बीच इसे ‘मध्यम’ और 201 से 300 के बीच ‘खराब’माना जाता है। 301 से 400 के बीच इसे ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच में इसे बहुत ही ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है।

गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से दिल्ली सरकार लगातार यह कह रही है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से राजधानी की हवा खराब होती है।

पराली की इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को मदद भी मुहैया कराई थी, इसके बावजूद पड़ोसी राज्यों में किसानों के द्वारा पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं हो रही है।

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