Supreme Court ने महाराष्ट्र सरकार को दिया झटका, दो हफ्तों में जारी करनी होगी निकाय चुनावों की तारीख

Supreme Court ने राज्य सरकार को दो हफ्ते में बीएमसी स्थानीय निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा करने का आदेश दिया है। जिसपर राज्य चुनाव आयोग ने जून तक का समय मांगा है। इसके बाद ही ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई की जाएगी।

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Supreme Court ने महाराष्ट्र सरकार के लिए आदेश जारी किया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को दो हफ्ते के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों की तारीख घोषित करने का निर्देश दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि वह मतदान प्रक्रिया होने के बाद चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण से संबंधित मुद्दे पर फैसला करेगी।

दो हफ्तों में तारीख जारी करने के दिए निर्देश

Supreme Court ने महाराष्ट्र सरकार से बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) सहित स्थानीय निकायों के चुनावों की तारीख को दो हफ्तों में जारी करने के लिए कहा है। इसके ठीक एक हफ्ते पहले शीर्ष अदालत ने OBC के लिए 27% आरक्षण बहाल करने के लिए महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। अदालत ने सभी प्रस्तावित ओबीसी-आरक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी में रखते हुए बिना किसी देरी के चुनाव प्रक्रिया को अधिसूचित करने का भी आदेश दिया है।

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राज्य चुनाव आयोग ने मांगा समय

इसके जवाब में राज्य चुनाव आयोग ने Supreme Court को एक हलफनामा सौंपते हुए कहा है कि चुनाव की तैयारी के लिए आवश्यक समय जून तक बढ़ाया जाए क्योंकि तैयारियों में समय लगता है। साथ ही आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि जून में मानसून शुरू हो जाता है और ऐसे में संभावित लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण चुनाव कराना मुश्किल हो जाता है।

Supreme Court ने खारिज की राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य विधानमंडल में दो विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के बाद महाराष्ट्र में सभी नगर निगमों के चुनावों पर विचार शुरू हो गया है। इन दोनों विधेयकों ने राज्य सरकार को स्थानीय निकाय चुनावों में गठन को आगे बढ़ाने की शक्तियों को अपने हाथ में लेने की अनुमति दी है। इससे पहले जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को राज्य में ओबीसी की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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लेकिन, मार्च में SC ने राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य सरकार ने इसके लिए रिसर्च नहीं किया है। लेकिन, राज्य सरकार के अनुसार ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने से उन्हें नुकसान हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब कई समितियां अपने राजनीतिक अधिकारों पर जोर दे रही हैं और आरक्षण मांग रही हैं।

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