मोदी सरकार ने जनता को महंगाई से राहत देने के लिए Petrol-Diesel पर लिये जाने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपये और 10 रुपये की कटौती की घोषणा की। जिसके बाद से NDA शासित 22 राज्यों ने अपने यहां ईंधन पर VAT को कम दिया। इस वजह से उन राज्यों में पेट्रोल और डीजल सस्ता मिलने लगा है लेकिन इसके ठीक उलट 14 एनडीए विरोधी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने यहां पेट्रोल और डीजल पर वैट को नहीं घटाया है।
मोदी सरकार के द्वारा पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क करने के बाद जिन राज्यों ने वैट को घटाया है, उनमें कर्नाटक, पुडुचेरी, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, बिहार, मध्य प्रदेश, गोवा, गुजरात, दादरा एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश एवं लद्दाख प्रमुख रूप से शामिल हैं।
विपक्षी 14 राज्यों ने डीजल-पेट्रोल पर वैट नहीं घटाया
वहीं केंद्र के द्वारा दिये जाने वाले राहत के बाद भी विपक्ष शासित इन 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने यहां अभी तक वैट नहीं घटाया है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, अंडमान और निकोबार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब और राजस्थान हैं। ओडिशा ने पहले पेट्रोल-डीजल पर वैट को नहीं घटाया था, लेकिन बाद में नवीन पटनायक सरकार ने शुक्रवार की आधी रात से वैट को 3 रुपये प्रति लीटर कम करने का फैसला ले किया।
जानकारी के मुताबिक केंद्र द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने का लाभ सबसे ज्यादा लद्दाख को मिला है। उसके बाद कर्नाटक और पुडुचेरी में क्रमशः कमी आयी है। इन केंद्र शासित प्रदेशों या राज्यों में पेट्रोल की कीमतों में क्रमश: 13.43 रुपये, 13.35 रुपये और 12.85 रुपये की कमी आई है।
पूरे देश में राजस्थान में सबसे महंगा है ईंधन
केंद्र के दाम में कटौती के फैसले के बाद दिल्ली में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 6.07 रुपये और डीजल पर 11.75 रुपये प्रति लीटर कम हो गया। वहीं पेट्रोल-डीजल की शुल्कों में कटौती के बाद भी राजस्थान में सबसे महंगा पेट्रोल 111.10 रुपये प्रति लीटर के दाम में मिल रहा है। वहीं राजस्थान के बाद मुंबई दूसरे नंबर पर है, जहां पेट्रोल 109.98 प्रति लीटर और आंध्र प्रदेश में 109.05 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जा रहा है।
पेट्रोल और डीजल के दामों में केंद्र की ओर से की गई कटौती का कई राज्यों के द्वारा विरोध किया जा रहा है और वहां की सरकारों इस फैसले को विशुद्ध तौर पर राजनीतिक हथकंडा बता रही हैं। दूसरी ओर इस मामले में भाजपा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कल तक जो राज्य मोदी सरकार से तेल के दामों में राहत चाहते थे आज वही राज्य इस फैसले पर अमल करने से डर रहे हैं क्योंकि गैर एनडीए राज्य मोदी सरकार के विकास नीतियों का विरोध करते हैं और इसके लिए वह अपने राज्य की जनता को तकलीफ दे रहे हैं।
केंद्र प्रति लीटर ईंधन पर राज्य की तुलना में अधिक कर वसूलता है
वहीं गैर एनडीए शासित राज्यों की सरकारें इस मामले में अपना तर्क रख रही हैं। इस फैसले का सबसे पहले विरोध केरल की कम्यूनिस्ट सरकार ने किया। इस मामले में केरल सरकार का पक्ष रखते हुए राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने कहा कि इस मांग के पीछे कोई तर्क नहीं है कि केरल को वैट में कटौती करनी चाहिए। केंद्र प्रति लीटर ईंधन पर राज्य की तुलना में अधिक कर वसूलता है।
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि केरल में कीमतों में कोई अतिरिक्त कटौती नहीं की गई क्योंकि केंद्र द्वारा डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर 5 रुपये की कटौती की गई तो केरल में अपने आप पेट्रोल की कीमत 12.30 रुपये और डीजल 6.56 रुपये प्रति लीटर तक कम हो गया।
केंद्र राज्यों को जीएसटी का मुआवजा जारी करे, ताकि वैट कम किया जा सके
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस मामले में बकाये जीएसटी का मुद्दा उटा दिया है। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में अपनी हिस्सेदारी निभा रहे शरद पवार ने कहा कि केंद्र को राज्यों को जीएसटी का मुआवजा जारी करना चाहिए ताकि वे वैट कम कर सकें। मोदी सरकार पर शरद पवार की इस टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी संकेत दे दिया है कि राज्य में तेल की कीमतों में फिलहाल कोई कमी नहीं की जाएगी।
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