सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के विरोधियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कोर्ट ने कहा मनसा थी गलत भरना होगा जुर्माना

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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट एक बार फिर चर्चा में है। इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के लिए दर्जनों याचिकाकर्ता हाई कोर्ट पहुंचे थे लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। वहीं अब खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बदलने इंकार कर दिया है साथ ही इसका विरोध करने वालों पर जुर्माना भी लगाया है।

कोर्ट का कहना है कि देश में तमाम प्रोजेक्ट चल रहे हैं लेकिन कोरोना और लॉकडाउन का हवाला देते हुए किसी भी प्रोजेक्ट को बंद करने की मांग नहीं की गई, सिर्फ सेंट्रल विस्टा पर ही रोक की मांग की गई इससे साफ जाहिर होता है कि याचिकाकर्ताओं की मनसा में खोट था। कोर्ट ने फैसला किया है सभी पर जुर्माना लगाय जाएगा।

गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पीएम मोदी का सपना है जिसे साकार करने के लिए सरकार कोशिश कर रही है। उम्मीद है कि नई संसद भवन साल 2022 में बनकर तैयार हो जाएगी। 13 एकड़ जमीन पर नई संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है। प्रोजेक्ट पर कुल 971 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इसके तहत प्रधानमंत्री आवास और उपराष्‍ट्रपति भवन बनाए जाएंगे। 

आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। हालांकि, दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बावजूद इसका काम जारी है और इसे आवश्यक सेवाओं के दायरे में रखा गया है। विपक्षी दल भी इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।

इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस पार्टी सबसे अधिक विरोध कर रही थी। प्रियंका गांधी कोरोना का हवाला देते हुए ट्वीट पर ट्वीट कर रही थी। प्रियंका ने ट्वीट किया था, ‘जब देश के लोग ऑक्सीजन, वैक्सीन, हॉस्पिटल बेड, दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं तब सरकार 13000 करोड़ से पीएम का नया घर बनवाने की बजाए सारे संसाधन लोगों की जान बचाने के काम में डाले तो बेहतर होगा। इस तरह के खर्चों से पब्लिक को मैसेज जाता है कि सरकार की प्राथमिकताएं किसी और दिशा में हैं।’

बता दें कि, दिल्ली में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बीच सभी निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा हुआ था, याचिकाकर्ता ने सवाल खड़ा किया था कि, अगर दिल्ली में सभी निर्माण कार्य पर बंदी लगी हुई है तो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम क्यों चल रहा है। इस पर भी रक लगनी चाहिए। 500 मजदूरों की जान खतरे में हैं। गजब बात यह है कि, जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो दिल्ली सरकार निर्माण कार्यों से प्रतिबंध पहले ही हटा चुकी थी।

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