संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के दूसरे दिन सदन में भारी हंगामा हुआ। किसान आंदोलन के मुद्दे पर इतनी बहस हुई कि अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस, टीएमसी और शिवसेना के 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में 12 सांसदों को पूरे सत्र से बाहर रखा गया है। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अगर सासदों को सत्र में रहना है तो उन्हें माफी मांगनी होगी।
Rahul Gandhi ने कहा नहीं मांगेंगे माफी
सांसदीय कर्यमंत्री के इस बयान पर राहुल गांधी ने हमला बोल है। उन्होंने कहा कि सदन में जनता का मुद्दा उठाना गलत है क्या है? हम माफी क्यों मांगे, नहीं मांगेंगे। राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिख कि किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!
प्रह्लाद जोशी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि सरकार हर तरह के प्रस्ताव के लिए तैयार है लेकिन हंगामा करने वाले इन सभी सांसदों को व्यक्तिगत रूप से माफी मांगनी चाहिए। सदन में वापसी के लिए जोशी ने माफी की शर्त रख दी है। इस मुद्दे पर आज राज्यसभ के सभापति वेंकैया नायडू से सभी निलंबित सांसद मुलाकात करेंगे।
निलंबन का कारण
यहां पर साफ करना चाहेंगे कि इन 12 सांसदों को संसद के शीतकालीन हंगामे के कारण निलंबित नहीं किया गया है बल्कि मॉनसून सत्र के दौरान 11 अगस्त को राज्यसभा में हंगामा करने के आरोप में निलंबित किया गया है। इन राज्यसभा सांसदों को नियम 256 के तहत निलंबित किया गया है। ये नियम राज्यसभा के सभापति को सदस्यों को कुछ दिन या पूरे सत्र के लिए निलंबित करने का अधिकार देता है।
256 नियम के तहत यदि सभापति को लगता है कि कोई सदस्य सभापीठ के अधिकारों की उपेक्षा कर रहे हैं या फिर बार-बार और जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं तो उस सदस्य को निलंबित कर सकते हैं।
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