पटना यूनिवर्सिटी के लव गुरु नाम से प्रसिद्द प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी को अपने वेतन का एक तिहाई हिस्सा अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में देना होगा। ये फैसला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर कहा, कि प्रोफेसर मटुकनाथ को अपनी सैलरी का एक-तिहाई हिस्सा उनकी पत्नी आभा के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करना होगा। साथ ही रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन राशि का भी एक-तिहाई हिस्सा अपनी पत्नी को देना होगा।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मटुकनाथ उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उनकी पत्नी ने मीडिया की सहायता से उस घर पर छापा मारा था, जहां वह अपने से 30 साल छोटी लड़की के साथ लिव इन में रह रहे थे। पत्नी और मीडिया के सामने रंगे हाथों पकड़ें जाने के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से जेएनयू से पासआउट स्टूडेंट जूली कुमारी से अपने प्रेम संबंधो को स्वीकार लिया था। उनके अवैध प्रेम संबंधों के कबूलनामे को सुनने के बाद मटुकनाथ के संबंधियों ने उनके चेहरे पर कालिख भी पोती थी। साथ ही उनकी पत्नी ने उन्हें वर्ष 2006 में घर से भी निकाल दिया था।

इसके बाद उनकी पत्नी आभा ने अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर पटना अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद वर्ष 2014 में पटना की निचली अदालत ने मटुकनाथ को अपनी पत्नी को हर महीने 25 हजार रुपए देने का आदेश दिया था। अदालत ने उन्हें 2007 से दिसंबर 2018 तक की 18.5 लाख रुपए की बकाया राशि देने का आदेश भी दिया था। लेकिन मटुकनाथ को अदालत का ये फैसला स्वीकार्य नहीं था जिसके बाद उन्होंने इस आदेश के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। लेकिन हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। जिसके बाद मटुकनाथ ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था।

सुप्रीम कोर्ट में मटुकनाथ ने दावे के साथ कहा, कि 2007 में उनकी सैलरी मात्र 35 हजार रुपए थी और निचली अदालत द्वारा आदेशित गुजारे भत्ते की राशि काफी ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह होम लोन के लिए 50 हजार रुपये प्रति महीना ईएमआई चुका रहे हैं।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मटुकनाथ की ये दलील काम नहीं आई और पत्नी की तरफ से अधिवक्ता दुर्गा दत्त और करुणाकर महालिक ने जस्टिस कुरियन जोसेफ के नेतृत्व वाली बेंच से कहा, कि हाई कोर्ट और निचली अदालत का आदेश सही है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में प्रोफेसर की सैलरी 1.8 लाख रुपए है। इसलिए उन्हें वेतन का एक तिहाई हिस्सा अपनी पत्नी को देना ही होगा।

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