RJD नेता ने Lalu Yadav को लिखा खुला खत, ” तेजस्वी को सौंपें पार्टी की कमान”, पुरानी गलती न करने की भी दी सलाह

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Lalu Yadav
Lalu Yadav

राष्ट्रीय जनता दल नेता शिवानंद तिवारी ने पार्टी सुप्रीमो Lalu Yadav को खुला खत लिखा है। नेता ने लालू यादव से अपील की है कि वे तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान पूरी तरह से सौंप दें। राज्यसभा चुनाव की बाबत नेता ने विशेष रूप से फेसबुक पर यह पोस्ट किया है। शिवानंद तिवारी ने लालू यादव से पहले की तरह उनकी सलाह को नजरअंदाज न करने की बात भी कही है।

शिवानंद तिवारी ने फेसबुक पर लिखा, ” उम्मीद की जा रही थी कि Lalu Yadav तेजस्वी के हाथों में दल का संपूर्ण दायित्व सौंप देंगे। विधानपरिषद हो या राज्यसभा, इन सदनों में कौन जाएगा यह तय करने की छूट तेजस्वी को देंगे ताकि वे भविष्य के लिये अपनी टीम का निर्माण कर सकें लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसलिए एक वरीय साथी होने के नाते मैं लालू जी को सलाह देना चाहूंगा कि राज्यसभा के इसी चुनाव में वे तेजस्वी के हाथ में दल की संपूर्ण कमान सौंप दें।”

Lalu Yadav के नाम खुला खत फेसबुक पर किया पोस्ट

राजद नेता ने फेसबुक पर पोस्ट किया, ”जब Lalu Yadav ने अपने राजनीतिक वारिस के रूप में तेजस्वी यादव को चुना तो राष्ट्रीय जनता दल ने संपूर्ण हृदय से इसको स्वीकार किया। यह जरूरी भी था। इसलिए भी कि बिहार देश का सबसे युवा प्रदेश है। बिहार की पूरी आबादी में 58 फीसद आबादी 25 बरस से नीचे वालों की है। इस आबादी के सपनों और आकांक्षाओं को लालू यादव सहित हम पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं समझते हैं, वक्त बदला है। यह आबादी गांवों के उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू जी हैं। लेकिन इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है, इसका आकलन दो चुनाव के परिणामों से समझा जा सकता है।”

पहले के चुनावों के बारे में बात करते हुए शिवानंद तिवारी ने लिखा,”2010 का विधानसभा चुनाव राजद ने Lalu Yadav के नेतृत्व में लड़ा था। उस चुनाव में राजद के महज 22 विधायक जीत पाये थे। उसके बाद विधानसभा का दूसरा चुनाव 2015 में हुआ, उस चुनाव में लालू जी और नीतीश कुमार एक साथ हो गये थे। महागठबंधन की सरकार बन गई थी। उस चुनाव नतीजे से लालू यादव और नीतीश कुमार की संयुक्त ताकत का आकलन किया जा सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से राजद की ताकत का आकलन का वह नतीजा आधार नहीं हो सकता है। इसलिए उस चुनाव के परिणाम को यहां नजीर के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है लेकिन उसके बाद 2020 के चुनाव में गठबंधन बनाने से लेकर नेतृत्व तक शुद्ध रूप से तेजस्वी यादव ने किया था।”

शिवानंद तिवारी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा,” उस चुनाव में राजद विधानसभा में न सिर्फ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा बल्कि प्राप्त वोटों के प्रतिशत के हिसाब से भी सबसे बड़ा दल बना। वह चुनाव एक मामले में अनूठा था, देश के राजनीतिक क्षितिज पर नरेंद्र मोदी के उभार के बाद बिहार के विधानसभा का 2020 का चुनाव ऐसा पहला चुनाव था जिस के चुनाव अभियान में भाजपा सांप्रदायिकता को मुद्दा नहीं बना पाई बल्कि तेजस्वी यादव ने रोजगार के सवाल को 2020 के चुनाव अभियान का प्रमुख मुद्दा बना दिया और नरेंद्र मोदी सहित तमाम पार्टियों को उसी मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए बाध्य किया। युवा तेजस्वी की यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इस प्रकार वे देश की नजर में आ गये।”

शिवानंद तिवारी ने आखिर में लिखा, ” Lalu Yadav को स्मरण होगा कि पूर्व में भी अनेक अवसरों पर एक से अधिक मर्तबा मैंने उनको सलाह दी होगी। लेकिन उन्होंने उनकी अनदेखी की। उसके फलस्वरूप उनका तो नुकसान हुआ ही, सामाजिक न्याय आंदोलन को भी नुकसान पहुंचा है। मैं उम्मीद करता हूं कि लालू जी मेरी सलाह का आदर करेंगे।”

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