Maharashtra Political Crisis: उद्धव गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई को राजी हुआ SC

Maharashtra Political Crisis: याचिका मे राज्यपाल द्वारा संवैधानिक सिद्धांतो को पूरा करने में विफल बताते हुए कहा गया है कि दल बदल के आरोपी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होने से पहले उनको विधान सभा की कार्यवाही का हिस्सा बनाना संविधान विरुद्ध है।

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Supreme Court
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्देश को चुनौती देने वाली शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। दरअसल, महाराष्ट्र में राजनीतिक उन्माद के बीच, सुप्रीम कोर्ट बुधवार शाम 5 बजे सामान्य कामकाजी घंटों से परे बैठने का फैसला किया है।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अवकाश पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उद्धव गुटों को संबोधित करते हुए कहा कि जो राजनीतिक स्थिति पैदा की गई है, उसे देखते हुए, हमें आज ही मामले की सुनवाई करनी होगी।

राज्यपाल ने मीडिया रिपोर्ट पर किया भरोसा: Sunil Prabhu

बता दें कि शिवसेना की ओर से चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने अपनी याचीका में कहा कि राज्यपाल शायद यह मान चुके हैं कि एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद विधायक सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन या फिर सरकार या शिवसेना के पास इसकी कोई सूचना नहीं है। वहीं, एक नाथ शिंदे और साथी विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लिया या सरकार में अपना अविश्वास जताया है। इसकी हमे कोई जानकारी ही नहीं है। याचीका में कहा गया कि राज्यपाल ने फैसला लेते वक्त शिवसेना से नाराज विधायकों के बारे में वास्तविक जानकारी के बजाय मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा किया है।

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Maharashtra Political Crisis: सुनील प्रभु

पार्टी का आदेश न मानने वाले विधायक अयोग्य: याचिका में शिवसेना

शिवसेना ने अपनी याचिका में कहा कि राज्यपाल बिना मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के सलाह के बिना विशेष सत्र बुलाने का आदेश नहीं दे सकते। बावजूद इसके राज्यपाल ने नियम का उल्लंघन करते हुए अपनी मनमानी से सत्र आहूत करने का आदेश जारी कर दिया है। याचिका में आगे कहा गया है शिवसेना के बागी विधायकों द्वारा पार्टी का आदेश और व्हिप न मानने वाले विधायक तो कानूनन 22 जून को ही अयोग्य हो गए थे। पहले उन विधायकों की स्थिति को पहले तय किया जाए।

इसके अलावा याचिका मे राज्यपाल द्वारा संवैधानिक सिद्धांतो को पूरा करने में विफल बताते हुए कहा गया है कि दल बदल के आरोपी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होने से पहले उनको विधान सभा की कार्यवाही का हिस्सा बनाना संविधान विरुद्ध है।

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