Maharashtra Political Crisis Live Updates: सुप्रीम कोर्ट से उद्धव सरकार को तगड़ा झटका, फ्लोर टेस्ट से पहले दिया इस्‍तीफा

राज्यपाल ने कल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। जिसके चलते सुबह 11 से शाम 5 बजे के बीच फ्लोर टेस्ट होना है।

0
276
Shindey VS Thackrey: ठाकरे गुट को लगने वाला है बड़ा झटका, 2 सांसद और 5 विधायक शिंदे गुट में हो सकते हैं शामिल
Shindey VS Thackrey: ठाकरे गुट को लगने वाला है बड़ा झटका, 2 सांसद और 5 विधायक शिंदे गुट में हो सकते हैं शामिल

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विधानसभा में गुरुवार को ही फ्लोर टेस्ट होगा और इसे होने से रोका नहीं जा सकता। इससे पहले कोर्ट ने सभी पक्षों को सुना। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही विधानपरिषद की सदस्यता भी छोड़ दी।सुप्रीम कोर्ट से मिले झटके के बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात को फेसबुक लाइव के जरिये जनता को संबोधित किया।

फ्लोर टेस्ट मामले की सुनवाई के लिए वकील नीरज किशन कौल, मनिंदर सिंह, महेश जेठमालानी कोर्ट और SG तुषार मेहता कोर्ट रूम में मौजूद रहे। वहीं अभिषेक मनु सिंघवी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट प्रोसिडिंग के लिए जुड़े। उद्धव सरकार का पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की शुरूआत करते हुए कहा कि जो पत्र फ्लोर टेस्ट के किए लिखा गया है उनकी कॉपी हमने याचिका में लगाई है। कल विपक्ष के नेता ने राज्यपाल से मुलाकात की और आज फ्लोर टेस्ट की हमे जानकारी मिली है।

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से क्या कहा गया?

  • सिंघवी ने कहा इस मामले में राज्यपाल ने बहुत तेजी से काम किया। जहां 2 काग्रेस के विधायक देश से बाहर हैं। वहीं 2 एनसीपी के विधायक कोरोना से ग्रसित हैं और 24 घन्टे में बहुमत परीक्षण के लिए कहा गया है। सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि अगर मान लीजिए 11 जुलाई को कोर्ट ने विधायकों की याचिका खारिज कर देता है। उसके 2 दिनों में स्पीकर अपना फैसला देता है। उस स्थिति में वो विधायक कल वोट दे सकते हैं ?
  • कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि बदली हुई स्थितियों में क्या बहुमत परीक्षण 10 या 15 दिनों में दोबारा नहीं हो सकता?संविधान में इसको लेकर क्या प्रावधान है? सिंघवी ने जवाब में कहा कि फ्लोर टेस्ट बहुमत जानने के लिए होता है। इसके लिए इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि कौन वोट डालने के योग्य है और कौन वोट डालने लायक नहीं है।
  • उन्होंने कहा स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए। उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी।
    कोर्ट ने कहा कि विधायकों के अयोग्यता का मामला कोर्ट में लंबित है। जिसमें हमें तय करना है कि नोटिस वैध है या नहीं? कोर्ट ने पूछा लेकिन इससे फ्लोर टेस्ट कैसे प्रभावित हो रहा है?
  • सिंघवी ने कहा अयोग्यता को लेकर अगर स्पीकर फैसला लेते हैं और विधायक अयोग्य करार देते हैं तो फैसला 21या 22 जून से लागू होगा। क्योकि उन्होंने उस दिन नियमों को तोड़ा था। इसलिए उस दिन से उन्हें विधानसभा का सदस्य नही माना जायेगा। उन्होंने कहा जब वह विधान सभा के सदस्य नहीं रहे तो वो वोट कैसे कर सकते हैं?
  • कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में स्पीकर पर भी सवाल उठाते हुए याचिका दाखिल की गई है। वहीं सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि विधायको की अयोग्यता के निपटारे के फैसले के बिना ही वो फ्लोर टेस्ट में जाना चाहते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे ग्रुप ने स्पीकर को पत्र लिखकर यह भी कहा है कि शिवसेना का बहुमत उनके पास है। वहीं सिंघवी ने कहा कि 21 जून को ही यह विधायक अयोग्य हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता के मसले पर 11 जुलाई तक सुनवाई टाली है। ऐसे में उससे पहले फ्लोर टेस्ट करना गलत है। इसपर कोर्ट ने कहा कि अगर स्पीकर ने अयोग्यता पर फैसला ले लिया होता तो स्थिति अलग होती।
  • कोर्ट ने फिर पूछा कि फ्लोर टेस्ट कब करवा सकते हैं। इसे लेकर क्या कोई नियम है? सिंघवी ने जवाब देते हुए बताया कि आमतौर पर फ्लोर टेस्ट के बीच 6 महीने का अंतर होता है। ऐसे में अभी फ्लोर टेस्ट कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए।कोर्ट ने पूछा कि अयोग्य करार दिए जाने का मसला हमारे पास लंबित है। फ्लोर टेस्ट से उसका क्या संबंध है? इसको स्पष्ठ करिए।
  • सिंघवी ने कहा कि एक तरफ कोर्ट ने अयोग्यता की करवाई को रोक लगाया है। वहीं दूसरी ओर विधायक कल होने वाले फ्लोर टेस्ट में वोट करने जा रहे हैं। यह विरोधभास है। विधायकों की अयोग्यता के मामले के निपटारे से पहले इन विधायको को वोट डालने की इजाजत देना संविधान के मूल भावना के खिलाफ है। इन लोगों को वोट डालने देना लोकतंत्र की जड़ों को काटना होगा।
  • सिंघवी ने दलील दी कि जो सदन का सदस्य नहीं है उसे कैसे वोट डालने की इजाजत दी जा सकती है। कोई सड़क से उठकर फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं हो सकता। दसवीं अनुसूची के प्रावधान और स्पष्ट और सख्त होने चाहिए। सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले मंत्रिमंडल से सलाह नहीं ली। जबकि उन्हें पूछना चाहिए था। वहीं राज्यपाल मंत्रिपरिषद के बजाय फडणवीस के इशारे और सलाह पर काम कर रहे हैं।
  • सिंघवी ने 34 बागी विधायकों द्वारा राज्यपाल को दिया गया पत्र को पढ़ते हुए कोर्ट को बताया कि यह पत्र सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक सदस्यता छोड़ने के बराबर है। सिंघवी ने कहा कि यह सदस्य का कंडक्ट है जो तय करता है कि उसने पार्टी छोड़ दी है। शिंदे समेत अन्य बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली तो वो सोच रहे हैं कि वो कुछ भी कर सकते हैं।
  • कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि आप डिप्टी स्पीकर को भेजे गए उस पत्र पर भी सवाल उठा रहे हैं। जिसपर 34 विधायकों ने हस्ताक्षर किया था। सिंघवी ने जवाब देते हुए कहा बिल्कुल ऐसा ही है। सिंघवी ने कहा ऐसा अभी तक कोई मामला नहीं है। जहां कोर्ट ने अयोग्यता की कार्यवाही की तारीख को बढ़ाया हो और फ्लोर टेस्ट की तुरंत घोषणा की गई हो।
  • कोर्ट ने कहा कि बोम्मई और शिवराज मामले पर हमारी समझ कहती है कि इन मुद्दों को राज्यपाल के फैसले पर नहीं छोड़ा जा सकता है। इसको तय करने के लिए फ्लोर टेस्ट ही उचित है। जहाँ यह तय किया जा सकता है।
  • वहीं सिंघवी ने दलील दी कि सभी मामले अयोग्यता या फ्लोर टेस्ट को लेकर हैं। अभी तक ऐसी कोई मिसाल नहीं है जहां अदालत ने विधयकों की अयोग्यता को दरकिनार कर, एकाएक फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया हो।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा मान लीजिए अगर कोई सरकार जानती है कि उसने सदन में बहुमत खो दिया है। ऐसे में उसने स्पीकर का इस्तेमाल कर विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी कर दिया है। इस स्थित में राज्यपाल को क्या करना चाहिए? तब क्या वह अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है?
  • सिंघवी ने जवाब देते हुए कहा कि राज्यपाल अस्पताल से लौटकर आते हैं। फ्लोर टेस्ट के एक दिन पहले शाम को नेता प्रतिपक्ष से मिलते हैं और अगली सुबह फ्लोर टेस्ट के लिए पत्र लिखते हैं। मामले में इस तथ्य को भी देखना होगा।
  • सिंघवी ने आगे दलील देते हुए कहा बागी विधायक एक असत्यापित मेल भेजकर कहते हैं कि उन्हें स्पीकर पर भरोसा नहीं है और सूरत उसके बाद फिर गुवाहाटी चले जाते हैं। यह 2016 के राबिया के फैसले का दुरुपयोग है। यह अध्यक्ष को 10वीं अनुसूची की शक्ति का प्रयोग करने से रोकने के लिए किया गया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं करना चाहिए था।
  • क्या अगर कल फ्लोर टेस्ट नहीं होता तो आसमान गिर जाता ? सिंघवी ने कहा कि 10वीं अनुसूची का उद्देश्य कार्यालय के लालच या अन्य समान विचारों से प्रेरित राजनीतिक दलबदल की बुराई को रोकना है। यह हमारे लोकतंत्र की नींव को खतरे में डालते हैं। सिंघवी ने राज्यपाल के फैसले पर न्यायिक समीक्षा के फैसलों का हवाला देते हुए कहा राज्यपाल के निर्णय की समीक्षा करने के अधिकार का आप पर रोक नहीं है।
  • सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 361 की प्रतिरक्षा का दायरा बताते हुए कहा है कि कोर्ट राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाएगा और उन्हें नोटिस जारी नहीं करेगा। इसलिए हम सचिव को पार्टी बनाने का ध्यान रखते हैं। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले का हवाला दिया। जिसमे शिवराज सिंह केस का हवाला देते हुए कहा वहा जो विधायक इस्तीफा दिए थे अगली सरकार में मंत्री बन गए।
  • सिंघवी ने उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार के मामले का हवाला देते हुए कहा कि वहां फ्लोर टेस्ट का निर्देश दिया गया था लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर द्वारा अयोग्यता का निर्णय लिया गया था। वहां फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। साथ ही उन्होंने MP में भी ऐसी स्थितयों के बारे में बताया।
  • वहीं सिंघवी ने दोबारा कोर्ट के सामने बात उठाई कि NCP के दो विधायक कोरोना पीड़ित और कांग्रेस के दो विधायक देश से अभी बाहर हैं।
  • सिंघवी ने आगे कहा कि यह याचिका चीफ व्हिप सुनील प्रभु के तरफ से दाखिल की गई है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में सुनील प्रभु पर सवाल खड़ा किया गया है और वह अब चीफ व्हिप नहीं हैं। अब कल होने वाले फ्लोर टेस्ट के समय किसका व्हिप लागू होगा क्योंकि सुनील प्रभु के चीफ व्हिप होने पर सवाल है। सिंघवी ने अपनी बहस पूरी करते हुए कहा इस मामले में बैंलेंस करते हुए न्याय होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि फ्लोर टेस्ट को टाल दिया जाए।

शिंदे गुट ने अदालत से क्या कहा?

  • शिंदे खेमे की तरफ से वकील नीरज किशन कौल ने बहस की शुरुआत की। कौल ने नबाम रेबिया के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब तक स्पीकर को हटाने के मुद्दे पर फैसला नहीं हो जाता,तब तक विधायको की अयोग्यता का फैसला नहीं किया जा सकता है। यहां सबसे पहले यह तय करना है कि अध्यक्ष को हटाना है या नहीं। एन के कौल ने कहा यह कोर्ट के हस्तक्षेप का सवाल नहीं है बल्कि सवाल यह है कि स्पीकर मामले से निपट नहीं सकते क्योंकि खुद उनकी क्षमता पर सवाल है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट को रोका नहीं जा सकता क्योकि कोर्ट ने हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए ही अपने फैसले में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही है।
  • कौल ने कहा कि दूसरे पक्ष ने अपनी दलील दी है कि 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला डिप्टी स्पीकर के पास लंबित है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले यह कहते कि इससे फ्लोर टेस्ट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यानी फ्लोर टेस्ट किया जा सकता है।
  • कौल ने दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में कहा है कि स्पीकर के समक्ष लंबित मामलों से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में ही फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहा है।
  • आजतक कभी भी फ्लोरटेस्ट पर न तो कभी रोक लगी है और न ही टाला गया है। अभी तक के मामलो में या तो फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया गया है या फिर तय समय से पहले ही टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया गया है। कौल ने कहा कि इस मामले में राज्यपाल ने अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए निश्चित किया कि यह मामला फ्लोर टेस्ट का है।राज्यपाल या राज्यभवन में बहुमत साबित नहीं किया जाता, बहुमत केवल विधानसभा के पटल पर साबित किया जाता है और राज्यपाल ने भी वही किया। आमतौर पर यह होता है कि पार्टियां फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग को लेकर कोर्ट आती है क्योंकि कोई और पार्टी को हाईजैक कर रहा होता है। जबकि यहा मामला उलटा है, पार्टी यहां कोई फ्लोर टेस्ट नहीं चाहती है। ऐसे में लोकतंत्र की परीक्षा कहाँ होती है? यह विधानसभा के पटल पर ही यह तय होगा।
  • कौल ने कहा जब मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट को लेकर अनिच्छा दिखाते हैं,तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने बहुमत खो दिया है। फ्लोर टेस्ट में अगर आपके पास बहुमत होगा तो आप जीतेंगे, नहीं तो आप हार जाएंगे। जब हम कोर्ट आए, तो हमने डिप्टी स्पीकर को लिखा था कि हमें आप पर कोई भरोसा नहीं बावजूद इसके उन्होंने हमें अयोग्यता का नोटिस जारी किया।डिप्टी स्पीकर का यह कृत्य नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को दरकिनार करने जैसा है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपका तर्क यह है कि राज्यपाल की शक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं है और वह फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकता है। वहीं आपका यह प्रश्न है कि फ्लोर टेस्ट में भाग लेने के लिए कौन योग्य है?
  • कौल ने कहा सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले कहते हैं कि फ्लोर टेस्ट जल्द से जल्द हो। वहीं अगर सरकार के पास बहुमत है तो वह फ्लोर टेस्ट करने से क्यों हिचकिचा रहे हैं। सरकार सदन में आये और अपना बहुमत साबित करे। उन्होंने कहा कि जितना अधिक आप फ्लोर टेस्ट में देरी करेंगे,संविधान और लोकतंत्र को उतना ही नुकसान होगा। इतना ही नहीं हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए फ्लोर टेस्ट जरूरी है।
  • कौल ने सुप्रीम कोर्ट के 2016 के नबाम रेबिया बनाम अरुणाचल प्रदेश मामले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में उन विधायकों को स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग में हिस्सा लेने से नहीं रोका था, जिनके खिलाफ अयोग्यता का मामला लंबित था। अतः राज्य सरकार के बहुमत परीक्षण से रोकना लोकतंत्र के खिलाफ होगा। वहीं सरकार को जब लगा वो अल्पमत में आ गई तो डिप्टी स्पीकर का इस्तेमाल करके अयोग्यता का नोटिस भेजना शुरू कर दिया। अब इस आधार पर फ्लोर टेस्ट कैसे रोका जाए?
  • कौल ने कहा कि राज्यपाल को सहायता और सलाह के अनुसार ही कार्य करना होता है और उनका निर्णय न्यायिक समीक्षा के अधीन होता है। वहीं राज्यपाल का भी एक संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में कोर्ट को उस स्थिति को भी देखना होगा जिसमें उसने यह कार्रवाई निर्देशित की है।
  • कौल ने कहा कि विपक्ष की तरफ से दलील दी जा रही है कि राज्यपाल ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर तय कर लिया कि सरकार अल्पमत में आ गयी है, इसलिए फ्लोर टेस्ट का निर्देश दिया। अगर ऐसा हुआ है तो इसमें गलत क्या है। मीडिया इस लोकतांत्रिक व्यवस्था का आवश्यक अंग है। कौल ने कहा कि स्पीकर के खिलाफ उसको पद से हटाने के लिए प्रस्ताव का नोटिस लंबित है। ऐसे में दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता की याचिकाओं पर उसका निर्णय लेना संवैधानिक रूप से सही नहीं होगा।
  • कौल ने कहा कि शिवसेना की बहस सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से बिल्कुल उलट है। उनका कहना है कि जब तक अयोग्यता पर फैसला न हो जाए तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता। कोर्ट ने पूछा कितने विधायक असंतुष्ट हैं ? कौल ने कोर्ट को बताया कि 39 विधायक असंतुष्ट हैं। कोर्ट ने फिर पूछा शिवसेना के कितने विधायक हैं। कौल ने कहा 55 विधायक हैं। जिसमें 39 असंतुष्ट हैं।
  • कौल ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के हवाले देते हुए कहा कि बहुमत परीक्षण होना चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसलों में जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण कराए जाने की बात कही है। इसी के साथ वकील एन के कौल की दलील पूरी हुई।
  • वकील मनिदर सिंह ने शिंदे खेमे की तरफ से पक्ष रखते हुए मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। इसके लिए राज्यपाल मंत्रिमंडल कर सलाह पर काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं।जहां हमारे पास शिवसेना के 39 विधायक है वहीं उनके पास 16 विधायक ही है। हम सुप्रीम कोर्ट इस लिए आए आये थे कि अयोग्यता पर जारी नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया क्योकि यह नेचुरल जस्टिस के खिलाफ है। सिंह ने कहा कि 21 जून को जब शिवसेना के विधायकों ने असंतुष्ट होकर दूरी बनाई, उसी समय सरकार अल्पमत में आ गई। वहीं स्पीकर ने शिवसेना के 55 में से केवल 16 विधायक जिनके पास है उनकी बात सुनी।

SG तुषार मेहता ने क्या कहा?

  • अब SG तुषार मेहता ने राज्यपाल की तरफ से पक्ष रखना शुरू किया। SG ने कहा कि नबाम रेबिया फैसला इस वजह से दिया गया था कि स्पीकर के ऑफिस का भी दुरुपयोग हो सकता है। इसलिए स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव होने पर उन्हें अयोग्यता के मामले पर सुनवाई न करने के लिए कहा गया था। ऐसे में वह खुद तय नहीं कर सकते कि स्पीकर के प्रस्ताव पर वोट देने वाले कौन-कौन विधायक शामिल होंगे?
  • SG ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में याचिकार्ताओ द्वारा राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने के मानदंड भी पूरे नहीं किए गए हैं। SG ने कोर्ट को बताया कि कई ऐसे फैसले हैं, जिसमें 24 घंटे के भीतर राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण कराने के आदेश दिए हैं। इसके लिए राज्यपाल ने कई पत्रों को रिकॉर्ड पर लिया। मीडिया ने भी संख्या बल का जिक्र किया गया है। इन सब के बाद अगर मैं संतृष्ट होता हूँ तो बहुमत परीक्षण के लिए क्यो नहीं कह सकता।
  • SG ने नेशनल मीडिया पर दिखाए गए एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि इस बयान में कहा गया था कि विधायकों की डेड बॉडी वापस आएगी। इस बात को राज्यपाल नजर अंदाज कैसे कर सकते थे? इसके साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी बहस पूरी की।
  • सिंघवी ने अब दोबारा अपनी दलील देना शुरू किया।
  • उन्होंने कहा जब मेरा एक हाथ दसवीं अनुसूची से बंधा हो, और दूसरे हाथ को फ्लोर टेस्ट करने के लिए कहा जाए, तो इसके लिए यह तर्क यह नहीं हो सकता कि फ्लोर टेस्ट लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हर एक मामले में नबाम रेबिया फैसला लागू नहीं हो सकता। सिंघवी ने कहा जो यह कहते हैं कि राज्यपाल पवित्र गाय की तरह हैं जबकि अध्यक्ष राजनीतिक हैं। यह एक गलतफहमी है।
  • उन्होंने कहा राज्यपाल की तरफ से इस बात पर जरूरी बहस नहीं की गई कि जो उनके पास ज्ञापन आया क्या उसका उन्होंने सत्यापन कराया। उनकी तरफ से तो इसकी कोशिश भी नहीं की गई। इतना ही नही राज्यपाल जल्दी ही फ्लोर टेस्ट के आदेश देते हैं, फिर भी स्पीकर पर आरोप लगाया जाता है कि वो राजनैतिक है। जबकि राज्यपाल राजनैतिक है। उन्होंने एकतरफा फैसला लिया।
  • सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल कोई देवदूत नहीं होते वो भी इंसान होते है। ऐसे में उनके फैसले का परीक्षण किया जा सकता है। सिंघवी ने गवर्नर के राजनीतिक होने का आरोप लगाते हुए कहा यह कहना गलत होगा की गवर्नर पॉलिटिकल नहीं हो सकता। गवर्नर ने ही सालों तक 12 सदस्यों को नॉमिनेट नहीं होने दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कल होने वाले फ्लोर टेस्ट में 16 विधायकों को वोट देने की अनुमति दी जाती है और भविष्य में उन्हें अयोगय कर दिया जाता है तब स्थिति क्या होगी?
  • सिंघवी ने कोर्ट से एक हफ्ते के लिए बहुमत परीक्षण टालने का आग्रह करते हुए कहा कि यदि नबाम राबिया का अक्षरशः प्रयोग किया जाए तो दसवीं अनुसूची समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक दलबदल करने वाला हमेशा अध्यक्ष को हटाने के लिए प्रस्ताव भेज सकता है यदि तथ्यों पर विचार किए बिना इसे गीता या बाइबिल की तरह ही समझा जाता है तो यह 10 वीं अनुसूची नहीं है। इसके साथ हीं सिंघवी ने बहस पूरी की।

सीएम उद्धव ने कैबिनेट मीटिंग में कहा- अपने ही लोगों ने धोखा दिया, इसका दुख रहेगा

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कैबिनेट की मीटिंग के लिए पहुंच गए हैं। उन्होंने मीटिंग से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीरों को प्रणाम किया।

99ed094b 2d01 4016 84ae bd205fafdbb8

सीएम उद्धव आज की कैबिनेट मीटिंग में कुछ बड़े फैसले ले सकते हैं।

86939837 1ca6 40e0 b5a1 3fb96cb525dd

महाराष्ट्र राज्य कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को मंजूरी दी। सीएम ने सभी का आभार व्यक्त किया। राज्यपाल ने बिना कैबिनेट की सलाह लिए फ्लोर टेस्ट बुलाया इसपर सीएम ने नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि ढाई वर्ष में सभी का सहयोग मिला। सभी का धन्यवाद । मुझ से कोई भूल किसी को दुख पहुंचाया होगा तो माफी चाहता हूं। सीएम ने कहा कि अपने ही लोगों ने धोखा दिया। इसका दुख रहेगा।

Maharashtra Politics: बहुमत साबित करना शिवसेना के लिए मुश्किल

बता दें कि महाविकास अघाड़ी सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा, जो अभी महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए मुश्किल दिखाई पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि इसी वजह से शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

Maharashtra Politics

गलत तरीके से सरकार को गिराने साजिश की जा रही है – शिवसेना

वहीं संजय राउत (Sanjay Raut) का भी बयान सामने आया है जहां संजय राउत ने कहा है कि गलत तरीके से सरकार को गिराने साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट में फ्लोर टेस्ट के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम को इसमें दखल देना चाहिए, और संजय राउत ने फ्लोर टेस्ट के आदेश को गैरकाननी करार दिया है।

cats 188

देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी के प्रमुख नेताओं की बुलाई बैठक...

वहीं कल के फ्लोर टेस्ट की तैयारी की चर्चा के लिए 2 बजे सागर बंगले पर देवेंद्र फडणवीस ने बैठक बुलाई है। बता दें कि इस बैठक में सुधीर मुनगंटीवार, आशीष शेलार, गिरीश महाजन, चंद्रकांत दादा पाटिल सहित कई नेता शामिल होंगे।

गुवाहाटी से गोवा जाने के लिए एकनाथ शिंदे गुट के विधायक निकले

गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिवसेना के बागी विधायक होटल से गोवा जाने के लिए हवाई अड्डे की ओर जा रहे हैं। असम के संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका और राज्य के अन्य भाजपा नेता एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के अन्य बागी विधायकों के साथ हैं। बागी विधायक गुवाहाटी हवाईअड्डे पर जाने से पहले कामाख्या मंदिर पहुंचे।

3 जुलाई को देवेंद्र फडणवीस CM पद की और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे : सूत्र

महाराष्ट्र के सियासी संग्राम से जुड़ी बड़ी खबर आ रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि 3 जुलाई को देवेंद्र फडणवीस CM पद की और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

संबंधित खबरें…

शिवसेना नेता Sanjay Raut को दूसरा समन, 1 जुलाई को पेश होने के आदेश

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here