लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) को हुए तीन दिन बीत चुके हैं। इस बीच 10 से अधिक वीडियो जारी किए जा चुके हैं। विपक्षी दल चीख चीख कर कह रहा है कि अशीष मिश्रा को गिरफ्तार करो और अजय मिश्रा को बर्खास्त करो। यह आवाज लगता है सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) तक नहीं पहुंच रही है। तभी तो उत्तर प्रदेश कहे जान वाले राज्य में 8 किसानों को गाड़ी से कुचल दिया जाता है और इन पांच सवालों का उत्तर देने के लिए कोई आगे नहीं आता है।
राज्य का नाम है उत्तर प्रदेश लेकिन इन पांच सावलों का उत्तर कौन देगा?
आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
लखमीपुर खीरी में कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों को कथित तौर पर एक बीजेपी नेता का बेटा गाड़ी से कुचल देता है। इसमें 8 किसानों की मौत हो जाती है। पर राज्य की पुलिस तीन दिन तक गिरफ्तारी तो दूर किसी से पूछताछ भी नहीं करती है। आरोपियों को छोड़ पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे नेताओं को गिरफ्तार करती है। इस बाबत राज्य की पुलिस एक प्रेस वार्ता भी नहीं करती है।
पीएम मोदी विपक्ष के सवालों का क्यों नहीं दे रहे है जवाब?
लखीमपुर खीरी में 3 अक्तूबर को हिसां होती है। 5 अक्तूबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए राज्य की राजधानी लखनऊ जाते हैं। अपने लंबे चौड़े भाषण में पीड़ित परिवारों के प्रति एक शब्द तक नहीं कहते हैं। विपक्ष के हजार बार सावल पूछने पर कि पीएम मोदी पीड़ितों से मिलने क्यों नहीं गए? पीएम मोदी ने पीड़ितों के प्रति एक शब्द क्यों नहीं कहा? आखिर इतने बड़े हादसे पर पीएम मोदी खामोश क्यों हैं?
जारी किए गए 10 वीडियो पर पुलिस क्यों है खामोश
घटना के 55 घंटे के भीतर 10 वीडियो को जारी किया गया है। दावा किया जा रहा है कि गाड़ी के नीचे किसानों को दबा कर लोग भाग निकले। इसका वीडियो भी सामने आया है पर राज्य की पुलिस खामोश है। पुलिस आरोपियों पर एक्शन नहीं ले रही है। ना ही राज्य की पुलिस ने कोई प्रेस वार्ता की है।
योगी आदित्यनाथ ने अजय मिश्रा को लेकर कोई बयान क्यों नहीं दिया?
घटना के पहले दिन से कहा जा रहा है कि इसमें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा शामिल था। अजय मिश्रा योगी सरकार में मंत्री हैं। मिश्रा पर विपक्षी दल आरोप पर आरोप लगा चुका है पर योगी आदित्यनाथ ने कोई बचाव नहीं किया और मंत्री के खिलाफ कार्यवाही करने का आश्वासन भी नहीं दिया। विपक्षी दल अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
हिंसा का चुनाव पर क्या पड़ेगा असर?
राज्य में साल 2022 में चुनाव होने वाला है। देशभर में किसानों का मुद्दा गरम है। ऐसे में लखीमपुर खीरी हिंसा ने राज्य की सरकार की छवी पर गहरा असर डाला है। सरकार ने मुआवजे के जरिए मामले को रफा दफा तो कर दिया है पर अभी असल खेल तो 2022 में होने वाला है। इस हिंसा के बाद राज्य के किसानों में काफी रोष है।
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