एशिया-अफ्रीका को जोड़ने के लिए जिस तरह चीन ने वन बेल्ट,वन रुट को बनाया ठीक उसी तरह भारत ने इसे जोड़ने के लिए एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर  बनाने का फैसला किया है।  गुजरात में चल रही अफ्रीकन डवलपमेंट बैंक की मीटिंग में एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर(एएजीसी)  के लिए विजन डॉक्युमेंट जारी किया गया है।

दरअसल यह प्रोजेक्ट पीएम मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे का साझा विज़न है जिसके द्वारा यह दोनों देश अफ्रीका में क्वॉलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के साथ ही डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना चाहते हैं। इस प्रोजेक्ट से जहां एशिया और अफ्रीका के बीच आर्थिक, व्यावसायिक, सांस्थानिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा वहीं यह अफ्रीका और एशिया के लोगों को कुशल व मजबूत तरीके से जोड़ेगा।  अफ्रीकन डवलपमेंट बैंक की मीटिंग के दौरान पेश किए गए इस कॉरिडोर के डॉक्युमेंट में  चार मुख्य बिंदु बताये गए हैं  जिसमें आपसी सहयोग और विकास से जुड़े प्रॉजेक्ट्स, क्वॉलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर ,इंस्टिट्यूशनल कनेक्टिविटी, कपैसिटी और स्किल बढ़ाना और लोगों के बीच भागीदारियां जैसे बिंदु शामिल हैं।  इस मीटिंग में अफ्रीका से दो राष्ट्रपति और एक उप राष्ट्रपति शामिल हुए हैं।

गौरतलब है कि अगर इस एएजीसी की तुलना वन बेल्ट,वन रुट  हैं तो हमें चीन के ओबीओआर के भावी प्रभावों पर भी ध्यान देना होगा।  हाल ही में यूएन के इकानॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक की रिपोर्ट में चीन के इस प्रोजेक्ट के बारे में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान के बलोचिस्तान सूबे में अलगाववादी अभियान को और बढ़ावा मिलेगा और इससे  कश्मीर विवाद और उलझ सकता है। जिससे भारत-पाक क्षेत्र में राजनैतिक अस्थिरता पैदा होगी।रिपोर्ट कहती है कि अफगानिस्तान की तनावपूर्ण स्थिति से काबुल और कंधार के आस-पास के इलाके में कॉरिडोर का फायदा ज्यादा नहीं मिलेगा। यूएन ने कहा कि इस कॉरिडोर से चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के अन्य इलाकों में कारोबार को बढ़ावा भले ही मिले पर  इससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेंगे जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसके  बनने से सामाजिक और पर्यावरणीय ढांचे पर भी असर पड़ सकता है।इसके निर्माण के बाद स्‍थानीय लोगों का विस्‍थापन भी हो सकता है,जिसके  बाद अलगाववाद बढ़ेगा। यानी चीन के इस महत्वाकांक्षी ओबीओआर से चारों तरफ अशांति ही अशांति फैल सकती है।

तो इन तमाम संभावनाओं  को ध्यान में रखते हुए ही भारत को अपने इस  प्रोजेक्ट पर काम करना चाहिए ताकि पूरे एशिया अफ्रीका क्षेत्र में शांति कायम रह सके और परस्पर विकास हो। हालांकि  एएजीसी से जुड़े डॉक्युमेंट में बताया गया है कि अफ्रीका में क्वॉलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए स्थानीय पर्यावरण, समुदाय और लोगों की आजीविका का ध्यान रखा जाएगा और चीन जैसा काम नहीं होगा। आपको बता दें कि चीन बहुत से अफ्रीकी देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सेक्टर्स के  प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और उस पर लगातार स्थानीय भावनाओं को अनदेखा कर काम करने के आरोप भी लगते रहे हैं।

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