अगली बार जब आप वैष्णो देवी मंदिर दर्शन के लिए जांए तो आपसे वहां एक रुपया अलग से लिया जा सकता है। ये एक रुपया  वैष्णो देवी मंदिर में टट्टू और खच्चर मालिकों के पुनर्वास के लिए लिया जाएगा। ये सुझाव सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर बोर्ड को दिया है। मामला टट्टू और खच्चर मालिकों के पुनर्वास के लिए 2.1 करोड़ रुपये की सालान लागत देने का है।

कोर्ट ने कहा कि श्रद्धालुओं से अगर एक-एक रु पया भी लिया जाता है तो यकीनन एक वर्ष में इतना पैसा जमा हो जाएगा कि यह योजना सिरे चढ़ सकती है। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता के बेंच को जम्मू कश्मीर सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मनिंदरजीत सिंह ने कहा कि इन लोगों के पुनर्वास के बारे में राज्य की केबिनेट में चर्चा की गई थी पर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस योजना पर इतना पैसा खर्च करने से मना कर दिया था।

कोर्ट ने कहा कि 50,000 भक्त रोज़ मंदिर का दौरा करते हैं और अगर उन पर भी एक रुपये का शुल्क लगाया जाता है तो सालाना ये राशि 1.80 करोड़ बनती है। इस राशी का टट्टू और खच्चर मालिकों के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप श्रद्धालुओं से एक या दो रुपये लेते हैं तो आपको बहुत अधिक राशि मिल जाएगी। यहां तक ​​कि तीर्थयात्रियों को 100 रुपये भी देने में खुशी होगी।

श्राइन बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील मुकुल रोहतागी ने कहा कि वो बोर्ड को इस बारे में बताएंगे। कोर्ट ने साथ में ये भी कहा कि कानूनी तौर पर श्राइन बोर्ड को अगर फैसला चाहिए तो कोर्ट आदेश पारित कर सकता है। अब मामले में अगली सुनवई जुलाई में होगी।

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