हल्दीघाटी और राजसमंद के बादशाही बाग में भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से रक्ततलाई में लगाया गया शिलापट्ट हटा दिया जाएगा. इस शिलापट्ट में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को हारने का बताया गया है। मगर इस शिलापट्ट में लिखे शब्दों को कुछ लोगों ने हटा दिया है। अब एएसआई इस शीलापट्ट को हटाने का विचार बना लिया है।

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BJP सरकार ने स्कूलों के सिलेबस में यह बदलाव कराया था जिसमें हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को विजेता बताया गया है। उसके बाद से राजस्थान के राजपूत संगठन लगातार यह मांग कर रहे थे कि भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से हल्दीघाटी और रक्ततलाई में लगाए गए शिलापट्ट को हटा दिया जाए। इस शिलापट्ट पर लिखा गया है कि 1576 में अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुए हल्दीघाटी युद्ध में राणा प्रताप को मैदान छोड़ पीछे हटना पड़ा था।

भारतीय जनता पार्टी ने आवाज उठायी

जयपुर राजघराना के पूर्व सदस्य और राजसमंद से सांसद दीया कुमारी इसके लिए केंद्र सरकार से लगातार अपील कर रही है। इसके बाद संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का कहना है कि इस दिशा में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को अनुसार जारी कर दिया गया है। एएसआई के जोधपुर रीज़न के प्रभारी अधीक्षक विपिन चंद्र नेगी ने का कहना है कि इस दिशा में जल्द ही कदम उठाया जाएगा।

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राजस्थान सरकार के टूरिज्म विभाग को इस बारे में निर्देशित किया जाएगा कि गाइड भी सैलानियों को यह नहीं बताएं कि महाराणा प्रताप की सेना हल्दीघाटी युद्ध में पीछे हट गई थी।

445 साल साल पुराना युद्ध

आपको बता दें कि यह युद्ध 445 साल पहले राजस्थान में 21 जून 1576 को मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मानसिंह के नेतृत्व वाली मुगल शासक अकबर की विशाल सेना के बीच आमना सामना हुआ था। चार घंटों के लंबे वक्त तक चले इस युद्ध में कई लोगों की जान चली गई थी। अब नए तथ्यों के आधार पर यह पाया गया है कि अकबर को राणा के चट्टानी विरोध की वजह से पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा था। मुगलों की विशाल फौज भी महाराणा प्रताप और उनकी सेना की अद्भुत वीरता से हार मान गई।

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