कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार ने राफेल सौदे को लेकर उच्चतम न्यायालय के समक्ष गलत तथ्य पेश किए हैं और शीर्ष अदालत को गुमराह किया है इसलिए मोदी सरकार को इसकी वजह बतानी चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी राफेल पर उच्चतम न्यायायल के फैसले के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन वह यह नहीं बता रही है कि जिस नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट का उसने न्यायालय में हवाला दिया और न्यायालय ने जिसके आधार पर फैसला दिया है वह रिपोर्ट न संसद में पेश हुई और ना ही वह लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास आयी है।

उन्होंने कहा कि न्यायालय के समक्ष जो तथ्य पेश किए गए हैं उसने उसी आधार पर फैसला दिया है। न्यायालय इस मामले में पीएसी की टिप्पणियों और आपत्तियों को नहीं देख सकता है। न्यायालय को जानकारी दी गयी है कि विमानों की कीमत का जिक्र संसद में पेश कैग की रिपोर्ट और पीएसी के पास है और उसी आधार पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया है। न्यायालय को यह तो नहीं बताया गया था कि उसे गुमराह किया जा रहा है इसलिए उसके सामने जो जानकारी दी गयी उसने उसी के आधार पर फैसला दिया।

प्रवक्ता ने कहा कि अगर न्यायालय के समक्ष गलत तथ्य रखे गए हैं तो शीर्ष अदालत को गुमराह करने वाली बात है और सरकार को बताना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों किया और विधि अधिकारियों ने किस आधार पर यह गलत सूचना अदालत को दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी न्यायालय के फैसले का सम्मान करती है लेकिन सरकार ने न्यायालय के समक्ष जो गलत तथ्य पेश किए हैं उसकी निंदा करती है।

सिब्बल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को गलत जानकारी देना बहुत गंभीर मामला है। देश की शीर्ष अदालत के समक्ष रक्षा जैसे संवेदनशील सौदे से जुड़े मामले को लेकर आधारहीन तथ्य कैसे दिए गए हैं इसकी पड़ताल होनी चाहिए और जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार झूठ बोलती है और उसका हर प्रयास तथ्यों को छिपाने का होता है। यही वजह है कि सरकार राफेल सौदे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सौंपने से बचने का प्रयास कर रही है और इस मामले में गलत जानकारियां दी जा रही हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने न्यायालय का फैसला आने के बाद कल कांग्रेस से माफी मांगने की बात कही थी लेकिन न्यायालय को गुमराह करके उन्हें न्यायालय से और देश से माफी मांगनी पड़ेगी तब शायद उनको यह जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि देश का एटर्नी जनरल अगर अदालत के समक्ष गलत तथ्य रखता है तो यह गंभीर मामला है और इस तरह से देश का सरकार से भरोसा ही उठ जाएगा।

-साभार, ईएनसी टाईम्स

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