Ajit Doval की अध्यक्षता में पहली बार हुए India-Central Asia Summit के NSAs की बैठक के क्या हैं मायने?

India-Central Asia Summit में देशों ने अफगानिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये इसके प्रभावों पर चिंताओं को शेयर किया है. भारत अफगानिस्तान में फिर से शांति स्थापित करने के बड़े समर्थकों में रहा है.

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Ajit Doval की अध्यक्षता में पहली बार हुए India-Central Asia Summit के NSAs की बैठक के क्या हैं मायने? - APN News

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor- NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) ने 6 दिसंबर, 2022 को पहली बार मध्य एशियाई देशों- कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ एक विशेष बैठक की मेजबानी की. इससे पहले इसी साल जनवरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन माध्यम से पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (India-Central Asia Summit) की मेजबानी की थी.

NSAs की बैठक क्यों थी खास?

यह बैठक भारत और मध्य एशियाई देशों ((India-Central Asia Summit) के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30 साल पूरा होने के अवसर पर पहली बार आयोजित की गई थी. इसके साथ ही पहली बार कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSAs) किसी उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के लिये दिल्ली में उपस्थित हुए.

भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबान के शासन की वापसी के बाद से भारत समेत कई देशों के लिए खड़े हो रहे सुरक्षा के मुद्दे इस चर्चा के केंद्र में रहे. इस बैठक में मुख्य रूप से अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और तालिबान शासन के तहत उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे पर विस्तार से चर्चा की गई.

बैठक में शामिल NSAs ने व्यापार के लिए बड़े महत्वपूर्ण मध्य एशिया के जरिये ईरान को रूस से जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor- INSTC) के ढांचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया.

बैठक के दौरान “नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग, हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, दुष्प्रचार फैलाने के लिये साइबर स्पेस के दुरुपयोग के अलावा मानव रहित हवाई प्रणालियों (Drones)” के खिलाफ एक साथ कार्रवाई की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया.

इस बैठक के दौरान, नेताओं ने शिखर सम्मेलन की प्रक्रिया को द्विवार्षिक रूप से आयोजित करने का निर्णय लेकर इसे संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की. जिसके लिए नए तंत्र/प्रक्रिया का समर्थन करने के लिये नई दिल्ली में भारत-मध्य एशिया सचिवालय (India-Central Asia Secretariat) स्थापित किया जाएगा.

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मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध (India’s Relations with Central Asian Countries)

मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध काफी पूराने हैं. बौद्ध धर्म ने स्तूपों और मठों के रूप में कई मध्य एशियाई शहरों में प्रसार किया. इसके अलावा अमीर खुसरो, देहलवी, अल-बरुनी आदि जैसे प्रमुख विद्वान मध्य एशिया से आए और भारत में अपना नाम स्थापित किेया.

भारत मध्य एशियाई देशों को “एशिया का दिल” मानता है और वे शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के सदस्य भी हैं. वहीं, भारत और मध्य एशियाई देशों में आतंकवाद और कट्टरता के खतरे का मुकाबला करने के दृष्टिकोण में समानता है.

कल हुई बैठक मे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र व्यापक सम्मेलन को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया था, जिसे भारत ने पहली बार साल 1996 में प्रस्तावित किया था, लेकिन आतंकवाद की परिभाषा पर मतभेदों को लेकर दशकों से आज तक लटका हुआ है.

भारत और मध्य एशियाई देशों ने अफगानिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये इसके प्रभावों पर चिंताओं को शेयर किया है. भारत अफगानिस्तान में फिर से शांति स्थापित करने के बड़े समर्थकों में रहा है.

नवंबर 2021 में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय संवाद की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के NSAs ने भाग लिया था.

इसके अलावा भारत ने हाल ही में चाबहार बंदरगाह के नवीनीकरण के माध्यम से महत्त्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है. यह अश्गाबात समझौते (Ashgabat Pact) का भी सदस्य है. अफगानिस्तान में पैदा हुए मानवीय संकट के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगानी लोगों को आवश्यक सामान पहुंचाने में बंदरगाह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

चुनौतियां भी

मध्य एशिया को भारत के साथ जोड़ने मे सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान की शत्रुता और अफगानिस्तान में अस्थिरता प्रमुख कारक हैं. इसके अलावा राजनीतिक रूप से, मध्य एशियाई देश कुछ ज्यादा ही कमजोर हैं और आतंकवाद के साथ-साथ इस्लामी कट्टरवाद जैसे खतरों से ग्रस्त हैं, जो इस क्षेत्र को एक परिवर्तनशील और अस्थिर बाजार बनाते हैं.

बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से चीन की भागीदारी ने इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को काफी कम कर दिया है. अफीम के बढ़ते उत्पादन (गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल) के साथ-साथ कई जगह से खुली हुई सीमाएं (जहां से आसानी से घुसपैठ की जा सकती है) और बेलगाम भ्रष्टाचार इस क्षेत्र को नशीली दवाओं एवं धन की तस्करी का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनाते हैं.

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का पद?

भारत में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार’ (NSA) ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ (National Security Council- NSC) की अध्यक्षता करता है और NSA ही प्रधानमंत्री को सुरक्षा के मामले को लेकर सलाह भी देता है. वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं.

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