हर साल कि तरह इस साल भी दीपावली पर बाजार सज गए हैं। पटाखें, कपड़ें, खाने पीने के सामान बाजार की रौनक बढ़ा रहे हैं। बाजार में चीन कि बनी लडियां, आतिशबाजी और पटाखें भी मिल रहे हैं, उपभोक्ता अपने बजट और पसंद के मुताबिक खरीदारी कर रहे हैं। बता दें कि कोरोना महामारी चीन से आने के बाद चीन के उत्पादों को विरोध हुआ था, लेकिन बाजार में दीवाली के मौके पर चीनी उत्पाद भी बिक रहे हैं, ये खरीदारों पर निर्भर करता है कि वे चीन को सामान खरीदें या नहीं है।
जहरीली हो जाती है हवा
हालांकि सुंदर दिखने वाले चीनी उत्पादों को खरीदने से पहले ये जान लेना जरूरी है कि इनका स्वास्थ और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी उत्पादों से पर्यावरण और स्वास्थ को भारी खतरा है। जेपी हॉस्पिटल नोएडा के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सीनियर कंसलटेंट डॉ. ज्ञानेंद्र अग्रवाल का कहना है कि दीपावली पर वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, जो घातक बीमारियों के साथ ही अपंगता का कारण भी बन सकता है। यह ब्रोंकोस्पाज्म और साइनुसाइटिस जैसे सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है। सांस के साथ अधिक मात्रा में कार्बन के शरीर में जाने से व्यक्ति थकान महसूस करने लगता है। प्रदूषण के कारण सांस की परेशान, सूखी खांसी, त्वचा की समस्याएं और आंखों में खुश्की जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पटाखों में होते हैं खतरनाक केमिकल
विशेषज्ञों की मानें तो चाइनीज पटाखों से वायु प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है। चाइनीज पटाखों में खतरनाक बारूद का इस्तेमाल होता है, जिससे जहरीली गैस निकलती है। इन पटाखों में काफी मात्र में पोटैशियम क्लोरेट की मात्र भी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद ही खतरनाक हैं। खासकर नवजात, बुजुर्गों और अस्थमा व सांस संबंधी बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए ये जानलेवा हैं।
कपड़ें और गहने भी हो सकते हैं जानलेवा
दीपावली पर लोग कपड़ों और गहनों की भी खरीदारी करते हैं, लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं के चीन से आयातित कपड़ें भी सुरक्षित नहीं हैं। चीन दुनिया में सबसे बड़ा कपड़ों का उत्पादक है, लेकिन यहां के बने कपड़ें भी मानव स्वास्थ के लिए बेहद हानिकारक हैं। उपभोक्ता उत्पाद सुरक्षा आयोग ने चीन के कम लागत वाले कपड़ों के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले मुख्य रसायनों की एक सूची प्रकाशित की है। रिपोर्ट के मुताबिक कई वैश्विक फैशन ब्रांड भी सस्ते उत्पादन के लिए चीन जैसे देशों को आउटसोर्स करते हैं। यहां कपड़ा निर्माण और रंगाई के लिए खतरनाक रसायनों का उपयोग किया जाता है। चीनी कपड़ों में रंगाई के लिए लेड का इश्तेमाल किया जाता है, खासकर चमकदार और रंगीन कपड़ों की रंगाई के लिए। एक्सपर्ट कहते हैं कि लेड के संपर्क में रहने से 6 साल से कम उम्र के बच्चों में मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है। चीनी कपड़ों में निर्माण के दौरान कपड़ों की सफाई के लिए एनएफई (नोनीप्फेनॉल एथॉक्सिलेट्स और नोनीप्फेनॉल) जैसे औद्योगिक डिटर्जेंट का इश्तेमाल किया जाता है।
सौंदर्य उत्पाद और कपड़ों में होते हैं पैथलेट्स
यू.एस. पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार शरीर के ऊतकों में जमा होने से वे हार्मोंस को बाधित कर सकते हैं और प्रजनन भी प्रभावित हो सकता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम के केंद्रों के अनुसार पैथलेट्स जिन्हें प्लास्टाइजर कहा जाता है, इनका उपयोग प्लास्टिक को अधिक लचीला और टिकाऊ बनाने के लिए किया जाता है। चीन में खाद्य पैकेजिंग और सौंदर्य प्रसाधनों जैसे घरेलू सामानों में इनका इश्तेमाल किया जाता है। कपड़ा उद्योग में आमतौर पर ये प्लास्टिसोल प्रिंटिंग में पाए जाते हैं। इनका उपयोग रबड़ सामग्री जैसे टी-शर्ट पर छवियों और लोगो बनाने के लिए किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं ये हार्मोंस को डिस्टर्ब करते हैं और स्तन कैंसर का कारण भी बन सकते हैं।
चीन में घरेलू इश्तेमाल की वस्तुओं जैसे फर्नीचर, शैंपू और सौंदर्य प्रसाधनों में फॉर्मल्डीहाइड का उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। यह कपड़ों को खराब होने से बचाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसका शरीर पर भारी दुष्परिणाम होता है। यू.एस. नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन के मुताबिक फॉर्मडाल्डहाइड के लंबे समय तक संपर्क से मतली हो सकती है। आंख, नाक, कान में समस्याएं खांसी और त्वचा में जलन हो सकती है।
बच्चों के उत्पादों में होते हैं कैडमियम
एक्सपर्ट कहते हैं कि चीनी ज्वेलरी और बच्चों की ज्वेलरी में कैडमियम धातु पाया गया, लंबे समय तक संपर्क में रहने से इससे कैंसर हो सकता है और यह प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।
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