केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कोई न आया काम! 5 पॉइंट में समझें कि क्यों MCD की सत्ता से दूर रह गयी BJP…

BJP ने MCD चुनावों के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा दर्जनों केंद्रीय मंत्री, 5 मुख्‍यमंत्रियों और 100 के करीब सांसदों को मैदान में उतारा था.

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BJP Chief JP Nadda during MCD Election campaign

देश की राजधानी दिल्ली में 4 दिसंबर को हुए नगर निगम चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. पिछले 15 साल से MCD की सत्ता संभाल रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) MCD Election हार गई. दिल्ली मे अब सरकार के अलावा एमसीडी पर भी आम आदमी पार्टी (AAP) का कब्जा हो चुका है. इस साल पंजाब विधानसभा चुनाव में मीली ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी की ये दूसरी बड़ी जीत है.

MCD चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत ने देश की राजधानी में सियासी हलचल तेज कर दी है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए इन चुनावों को बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद दिल्ली में पार्टी का जादू नहीं चल पाया. इन MCD चुनाव के बाद दिल्ली की कानून व्यवस्था को छोड़कर अब दिल्ली को पूरी तरह से आम आदमी पार्टी चलायेगी.

union minister piyush goyal during a roadshow in Delhi

भाजपा ने चुनावों के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा दर्जनों केंद्रीय मंत्री, 5 मुख्‍यमंत्रियों और 100 के करीब सांसदों को मैदान में उतारा था.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अधिक सफलता नहीं प्राप्त करने वाली भाजपा का पिछले 15 साल से नगर निगम के चुनाव में दबदबा रहा है. निगम के अब तक हुए 11 नगर निगम चुनावों में से सात बार भाजपा (जनसंघ व जनता पार्टी) ने जीत हासिल की तो वहीं, तीन बार कांग्रेस जीतने में सफल रही. 1958 में पहली बार हुए नगर निगम चुनाव के दौरान किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था.

MCD polls

इस MCD चुनाव ने राजनीतिक दलों को क्या संदेश दिया है, आइए इसको समझते हैं…

MCD Election के नतीजे?

दिल्ली नगर निगम में कुल 250 वार्ड में इस बार कुल 50.47 फीसदी लोग ही वोट डालने पहुंचे. चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो 250 में से 134 वार्डों में आम आदमी पार्टी की जीत हुई है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 104 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. कांग्रेस के खाते में नौ सीटें गईं. तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार ने भी चुनाव में जीत हासिल की है.

वोट शेयर के हिसाब से देखें तो आम आदमी पार्टी को 42.20 फीसदी वोट मिले. भारतीय जनता पार्टी के खाते में 39.02 फीसदी वोट गए तो सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को 11.68 फीसदी वोट मिले. वहीं, 3.42 फीसदी लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशियों का साथ दिया.

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आखिर क्यो हुई BJP की हार?

दिल्ली के एमसीडी चुनावों में सीएम अरविंद केजरीवाल का चेहरा आम आदमी पार्टी को काफी हद तक काम आया. 15 साल के एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही भाजपा के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने नई मुहिम चलाई और नारा दिया ‘एमसीडी में भी केजरीवाल’, लेकिन बाद में इसे बदलकर ‘केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद’ कर दिया. इस नारे के जरिये आप यह संदेश देने में कामयाब हो गई कि दिल्ली में पूरी तरह से अगर आप को ताकत मिल गई तो वह साफ-सफाई और लोगों के रोजमर्रा की जरूरतों का भी ख्याल रख सकेंगे. केजरीवाल अपनी इस रणनीति में भी कामयाब हुए.

delhi mcd elections 2022 bjp leader rajnath singh holds vijay sankalp roadshow in uttam nagar

इसके अलावा 15 साल से एमसीडी की सत्ता संभाल रही भाजपा राजधानी में गंदगी, कूड़े के ढेर, निगम में भ्रष्टाचार समेत कई मुद्दों को लेकर लगातार घिरती चली गई. आम आदमी पार्टी ने इसे आधार बना लिया. भाजपा इसका जवाब देने की बजाय आम आदमी पार्टी के ऊपर ही आरोप मढ़ती रही.

दिल्ली मे हुए कथित शराब घोटाले, सत्येंद्र जैन के जेल में मसाज कराने वाले कई वीडियो, ईडी की छापेमारी को भी आम आदमी पार्टी ने अपनी कमजोरी न मानकर काफी भुनाया. पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने जनता को संदेश दिया कि आम आदमी पार्टी के नेताओं को केंद्र सरकार जानबूझकर परेशान कर रही है. ऐसे में एक तरफ भाजपा को लेकर लोगों में एंटी इनकम्बेंसी और दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल को लेकर जनता की सहानुभूति ने आप के मजबूती दी.

इसके अलावा दिल्ली की आप सरकार की मुफ्त बिजली, स्कूलों की बेहतर व्यवस्था, मोहल्ला क्लीनिक, बुजुर्गों को धार्मिक यात्रा कराना, महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त यात्रा वाली योजनाएं भी काफी पसंद की गई. कई विश्लेषक मानते हैं कि इन चुनावों में आप के वोटर्स ने जहां बढ़चढ़कर हिस्सा लिया तो वहीं भाजपा के वोटर्स बाहर ही नहीं निकले.

वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी भाजपा के ही फार्मूले को दोहराते हुए मतदाताओं को यह भी समझाने में कामयाब रहे कि दिल्ली को डबल इंजन की सरकार की दरकार है. केजरीवाल हमेशा कहते रहे हैं कि एमसीडी में बहुमत मिलने के बाद दिल्ली का और तेजी से विकास किया जाएगा. सियासी मामलो के जानकारों का मानना है कि केजरीवाल की ओर से दिये गये इस भरोसे ने भी आप की मजबूती और भाजपा की हार का बड़ा कारण बना है.

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BJP में चेहरे की भी कमी

MCD चुनाव को लेकर दिल्ली में बीजेपी की ओर से भले ही केंद्रीय मंत्रियों समेत सांसदों की पूरी फौज के साथ प्रचार में उतरी लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं समेत मतदाताओं के बीच एक बड़ा सवाल यह था कि आखिर दिल्ली में बीजेपी की अगुवाई कौन कर रहा है. आदेश गुप्ता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भले ही हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता उतनी अधिक नहीं है कि वह केजरीवाल जैसे नेता का मुकाबला कर सकें. दिल्ली में लंबे समय से बीजेपी को ऐसे नेता की तलाश है जो दिल्ली में पार्टी की अगुवाई कर सके.

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