कांग्रेस की एक हजार बसों पर सियासत जारी है.. लखनऊ से दिल्ली तक हंगामा बरपा है.. मजदूर तो पैदल की गांव की ओर निकल रहे हैं.. लेकिन, उनकी हमदर्दी पाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस में शब्दों के बाण चल रहे हैं.. योगी सरकार को कांग्रेस द्वारा उपलब्ध कराई गई एक हजार बसों की सूची पर विवाद खड़ा होने के बाद.. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जांच में सही पाई गई 879 बसों के लिए अनुमति मांगी है.. साथ ही दो सौ बसों की एक और सूची सरकार को सौंपने की बात भी कही है.. योगी सरकार की घेराबंदी के प्रयास में कांग्रेस के तमाम बड़े नेता सामने आए और यूपी सरकार पर संवेदनहीनता के आरोप लगाए..

लेकिन अब  योगी सरकार पर हमलावर कांग्रेस.. एक हजार बसों के मुद्दे पर अपना ही घर नहीं संभाल पाई.. सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की सदर सीट से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने पूरे मामले पर अपनी पार्टी के रुख की कड़ी आलोचना और सीएम योगी की तारीफ की

आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत,एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा और एबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान,पंजाब, महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाईं।

कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें। तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक न छोड़ पाई। तब सीएम योगी ने रातोंरात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।

ये पूरी खींचतान बसों के रजिस्ट्रेशन नंबर को लेकर शुरू हुई.. कांग्रेस ने जिन एक हजार बसों की लिस्ट यूपी सरकार को सौंपी थी उनमें से कई के रजिस्ट्रेशन थ्री व्हीलर, टू व्हीलर और यहां तक कि एंबुलेंस के नाम पर पाए गये.. इस पर योगी सरकार और बीजेपी ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया.. जबकि कांग्रेस की तरफ से कहा जाता रहा कि 800 से ज्यादा बसें तो सही कागजात वाली हैं, उनका ही इस्तेमाल कर मजदूरों को उनके घर पहुंचा दिया जाये.

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