राजस्थान उच्च न्यायालय ने जेल के कैदियों की देखभाल के लिए उच्च मानक बनाए रखने के लिए जारी किये दिशा-निर्देश

राजस्थान के उच्च न्यायालय ने रविवार को एक विशेष बैठक में जेल के कैदियों की देखभाल के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए।

न्यायमूर्ति अशोक कुमार गौड़ और न्यायमूर्ति इंद्रजीत महंती की पीठ ने 16 मई को राजस्थान के विभिन्न समाचार चैनलों में छपी खबरों के आधार पर मामले का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया था कि “लगभग 55 कैदियों को कोरोना संक्रमित पाया गया है जिनमें दोष सिद्ध तथा जिनका ट्रायल अभी चल रहा है दोनों शामिल हैं, उनमें से सबसे ज्यादा मामलें  48 संक्रमित व्यक्तियों को केंद्रीय / जिला जेल, जयपुर में पाए गए हैं|”

यह मामला 16 मई की शाम को दर्ज किया गया था और एडवोकेट जनरल और अतिरिक्त मुख्य सचिव और जेल महानिदेशक को सूचित किया गया था कि इस मामले को 17 मई को सुबह 11.20 बजे पर सुना जाएगा।

महाधिवक्ता ने स्थिति से निपटने के लिए किए गए उपायों से संबंधित एक नोट प्रस्तुत किया और अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य सरकार ने एक अभियुक्त को जेलों मे लाने से लेकर संक्रमण से बचने की एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)की प्रक्रिया बनाई है जिसमें प्रवेश के समय परीक्षण किया जाना आदि शामिल है|

जेल महानिदेशक ने पीठ को सूचित किया कि “जेल प्रशासन द्वारा संक्रमण रोकथाम के लिए विशेष ध्यान रखा जा रहा है और स्वच्छता के लिए पर्याप्त काम किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्थान में जेलों के कैन्सर के श्वसन संबंधी संक्रमण और त्वचा रोगों में पर्याप्त गिरावट आई है।”

जेल के कैदियों के लिए देखभाल के उच्च मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:-

राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए स्थानीय चिकित्सा अधिकारियों द्वारा परीक्षण किए जा रहे| किसी अभियुक्त के कोरोना टेस्ट और  मानक संचालन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद यदि नकारात्मक पाया जाता है, तो ही ऐसे आरोपी व्यक्ति को जेल हिरासत / पुलिस हिरासत में भेजने की अनुमति दें|

टेस्ट होने के बाद मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार व्यक्ति को पुलिस कस्टडी या जेल मे समान्य वार्डो से अलग 21 दिनों तक एक आइसोलेशन वार्डों मे रखा जाना अनिवार्य है उसके उपरांत ही उसको सामान्य वार्ड मे रहने की अनुमती दी जाए|

जेल अथॉरिटी द्वारा कैदी को आइसोलेशन वार्डों से रिहा करने से पहेले उसका चेकउप स्थानीय स्वस्थ अधिकारियों द्वारा जरूर सुनिश्चित करे कि कोई संक्रमित तो नहीं रह गया है और साथ ही साथ उनका RT-PCR टेस्ट जरूर कराए जिसे कोरोना का यदि कोई सम्भावित लक्षण बचा है तो उसको भी पता लगया जा सके और उसके बाद ही उन कैदीयों को समान्य वार्ड मे शिफ्ट करे|

जेल प्रशासन जो अलगाव वार्ड में ऐसे कैदियों के साथ सीधे संपर्क में है, उन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस तरह के वायरस को उनके या उनके परिवारों को संक्रमित ना करे और अधिकारी जेल कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों का नियमित आधार पर परीक्षण करेंगे|

 

प्रत्येक जिले के चिकित्सा अधिकारी जेलों में आइसोलेशन वार्डों का निरीक्षण करेंगे और यदि कोई आवश्यक सुझाव की हो तो जेल अधिकारियों को सुझाव देंगे कि आइसोलेशन वार्डों में रखे व्यक्तियों की आवश्यक स्वच्छता और उसे बरकरार बनाए रखने के लिए जो भी आवश्यक फेसले करे।

 

जेल डॉक्टरों को प्रतिदिन के आधार पर उनके सामान्य चेकअप के लिए अलगाव वार्ड में कैदियों की जाँच करनी होगी। जेल के डॉक्टर हर रोज कैदियों के अलगाव वार्डों मे चेकअप करने के बाद उन्हें रिकॉर्ड करे गए।

 

उपरोक्त निर्देशों के अनुपालन के लिए पीठ ने समितियों को गठन करने का निर्देश दिया जो प्रत्येक जिलों में अपनी -अपनी जेल  में जाएँगी और प्रत्येक जेल की स्थिति को सत्यापित करेंगी और 22 मई को या उससे पहले सदस्य सचिव, आरएसएलएसए के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।

 

सदस्य सचिव को निर्देश दिया गया है कि उस रिपोर्ट को संक्षिप्त तरीके से तैयार कर  26 मई तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे।

मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी|

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