Chaitra Navratri 2022: 2 अप्रैल 2022 से नवरात्रि का आगाज हो चुका है। नवरात्रि के पहले दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा का विधान है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि या बसंत नवरात्रि शुरु होती हैं। देवी भगवती अपनी असीम अनुकंपा सभी पर बनाए रखें। इसके लिए जरूरी है कि उनका विधि-विधान के साथ पूजन। देवी की पूजा अर्चना में आप सभी कई फूलों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर आप नवरात्र के पहले दिन देवी की आराधना करने जा रहे हैं तो गुड़हल के लाल फूल उन्हें अर्पित कर मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं।
मां के श्रीचरणों में शुद्ध गुड़हल अर्पित करने के साथ देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि का पूरी आस्था के साथ उच्चारण करें। इस मंत्र को बेहद शक्तिशाली और प्रभावशाली बताया गया है। इससे मां शीघ्र प्रसन्न होकर मनवांछित वर देतीं हैं।
Chaitra Navratri 2022: शैलपुत्री पूजन विधि
दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। कलश स्थापना से इनकी पूजा शुरू की जाती है। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और कलश में उन्हें विराजने के लिए प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है।
मां शैलपुत्री के मंत्र
मंत्र- वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
Chaitra Navratri 2022: मां के जयकारे के साथ गाएं माता शैलपुत्री की आरती
मां शैलपुत्री की आरती शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पूजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
आरती -2
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।।
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