Chaitra Navratri 2022: नवरात्र में मां की पूजा ज्‍वारे बिना अधूरी, ज्‍वारे के अलग-अलग रंग बताते हैं शुभ-अशुभ का संकेत

Chaitra Navratri 2022: नवरात्र में मां की पूजा ज्‍वारे बिना अधूरी, ज्‍वारे के अलग-अलग रंग बताते हैं शुभ-अशुभ का संकेत चैत्र नवरात्र 2022 का आगमन कल से हो जाएगा। पूरी सृष्टि एक नए रूप में नजर आएगी।

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September Festival List 2022
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Chaitra Navratri 2022: नवरात्र में मां की पूजा ज्‍वारे बिना अधूरी मानी जाती है। ज्‍वारे के अलग-अलग रंग बताते हैं शुभ-अशुभ का संकेत Chaitra Navratri 2022 का आगमन कल से हो जाएगा। पूरी सृष्टि एक नए रूप में नजर आएगी। इन नवरात्र देवी भगवती भी घोड़े पर सवार होकर धरती पर पधार रहीं हैं।

ये इस बात का संकेत है कि समाज में अस्थिरता, तनाव, अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात आदि की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पूरे विश्‍व में युद्ध और अशांति के हालात बनते हैं। इस नवरात्र में जौं जरूर बोएं। इन्‍हें बोने के बाद माता रानी की चौकी के समीप ही रखें। कुछ ही दिनों में इनमें अंकुर आने शुरू हो जाएंगे, जोकि हमें कई बातों का संकेत देते हैं। आइये जानते हैं कि आखिर क्‍यों बोए जाते हैं जौं ? क्‍या है इनका महत्‍व और क्‍या संकेत बताते हैं ये हमें ?

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Chaitra Navratri 2022: जौ आखिर क्यों बोते हैं?

Chaitra Navratri में कलश के सामने एक मिटटी के बरतन में गेहूं और जौं को बोया जाता है। पूरे नौ दिन इसका विधि-विधान के साथ पूजन भी किया जाता है। नवरात्र में ज्वारे के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। फिर चाहे चैत्र हो शारदीय या गुप्‍त नवरात्र सभी में ज्वारे बोने की परंपरा सनातन धर्म में सदियों से चली आ रही है।

कहा जाता है कि जो लोग कलश स्थापना या घट स्थापना करते हैं, उनको ज्वारे जरूर बोना चाहिए, क्योंकि ज्वारे के बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। नवरात्र में प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय ज्‍वारों को माता रानी की चौकी के पास ही बोया जाता है।

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ज्वारों को नवरात्रके समापन पर बहते पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है। जौ बोने के पीछे मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहली फसल जौ की ही थी। जौं को पूर्ण फसल भी कहा जाता है। इसे बोने का मुख्य कारण है कि अन्न ब्रह्म है, इसलिए अन्न का सम्मान करना चाहिए। देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, तो हवन में जौ अर्पित किए जाते हैं।

Chaitra Navratri 2022: जौं का रंग नीचे से पीला, ऊपर से हरा होने का मतलब आधा वर्ष ठीक गुजरेगा
जौं के ज्‍वारे आपके आने वाले साल यानी भविष्य का संकेत भी देते हैं। जवारे की सेहत, रंग से साधक के भविष्य का पता चलता है।

यदि अंकुरित जौं का रंग नीचे से पीला और ऊपर से हरा है तो इसका अर्थ यह है कि भक्त का आने वाले साल का आधा समय ठीक नहीं रहेगा लेकिन बाद का समय बेहतर हो जाएगा। इसके विपरीत यानी अंकुरित जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला दिखे तो इसका मतलब यह है कि साल की शुरूआत तो अच्छी रहेगी, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

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Chaitra Navratri 2022: जौं का हरा रंग अच्‍छे भविष्‍य का संकेत
Chaitra Navratri में यदि जौं का रंग प्रकृतिक आभा लिए है, तो यह साधक के लिए बड़ा शुभ संकेत है और ऐसी मान्यता है कि देवी ने आपकी पूजा स्वीकार की है। आने वाला समय आपके लिए उत्तम रहेगा।

इसके विपरीत यदि जवारे सूख जाए या पीले होकर झड़ने लगे तो यह साधक के लिए शुभ संकेत नहीं है ओर आने वाला समय भक्त के लिए अच्छा नहीं है। इस तरह की अशुभता के निवारण के लिए नवरात्रि की अंतिम तिथि नवमी को नवग्रह के नाम से 108 बार हवन में आहुति दें। इस उपाय से भविष्य की बाधाओं का नाश होगा।

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Chaitra Navratri 2022 : जौं की धीमी वृद्धि कमजोर आर्थिक हालात का संकेत
जवारे की धीमी वृद्धि खराब आर्थिक हालात और तकलीफों का संकेत देते हैं। जौं के सीधे उगने को शुभ संकेत माना जाता है जबकि काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगने को अशुभ संकेत माना जाता है।जौं का घना होना भी बेहतर भविष्य का सूचक है। ये समृद्धता का प्रतीक माने जाते हैं। कहते हैं कि ऐसा होने पर व्यक्ति को धन प्राप्त होता है। साथ ही घर में खुशहाली आती है।

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