बाबरी का विवाद पिछले तीन दशकों से रह-रह कर उठता, उलझता और गहराता जा रहा है। 1992 से लेकर आज तक बाबरी और रामलला की ठनी हुई है और कोर्ट तारीख पर तारीख देती आई है। आपको बता दें कि इसी साल 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर आरोप तय करने का फैसला सुनाया था और आज वही तारीख है कि इन सबको सीबीआई की विशेष कोर्ट के समक्ष पेश होना है। इन सब पर आज से आपराधिक षड्यंत्र का मुकदमा चलेगा क्योंकि कोर्ट ने मामले की सुनवाई रोजाना कराने और दो साल में सुनवाई समाप्त करने का निर्देश दिया है।

ff14आज बीजेपी नेताओं के अलावा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस के यादव ने विनय कटियार, विहिप नेता विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा से भी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है और फिलहाल मामले में पेश होने के लिए लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली से लखनऊ के लिए रवाना हो चुके हैं। इन सभी के अलावा महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदान्ती, बैकुण्ठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, महंत धर्म दास और सतीश प्रधान को भी एक मामले में कोर्ट ने तलब किया है।

बाबरी प्रकरण में विनय कटियार ने कहा, ‘कोर्ट में मामला चल रहा है। मैं थोड़ी देर में वीवीआईपी जाऊंगा। आडवाणी जी समेत सभी लोगो के साथ कोर्ट जाऊंगा। कोई मुश्किल नही बढ़ने वाली। राम मंदिर को लेकर पहले दिन से स्टैंड क्लीयर है। आज तक उसी पर कायम हु और रहूंगा’।

दरअसल पिछले तीन दशकों से अयोध्या विवाद भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा बन चुका है। बीजेपी ने समय-समय पर इस विवाद को कई मंचों पर उठाया और अब जब 16 साल बाद उत्तर प्रदेश में पार्टी ने एक बार फिर सत्ता में वापसी की है तो अयोध्या विवाद सुलझने की राह पर है । इस विवाद का इतिहास करीब 490 साल पुराना है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत 1528 में हुई और वक्त के साथ-साथ ये और उलझता गया।

1989: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए विवादित स्थल के नजदीक राम मंदिर की नींव रखी। विवादित स्थल के पास ही मंदिर बनाने के लिए शिलाएं रखी गईं। 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए जनसमर्थन जुटाने के उद्देश्य से देशभर में रथयात्रा निकाली।

1992: विवादित स्थल पर राम मंदिर की नींव रखने के तीन साल बाद 1992 में विश्व हिंदू परिषद, शिव सेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देशभर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।

2001: बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया। इस वक्त देश में अटल सरकार थी। बढ़ते तनाव के बीच ही विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया।

2002: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित स्थल के मालिकाने हक की सुनवाई शुरू कर दी गई। इसी साल फरवरी में गुजरात के गोधरा में ट्रेन में आग लगा दी गई, जिसमें अयोध्या से कारसेवक लौट रहे थे। इसमें 58 लोग मारे गए। इसके बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हो गए जिसमें 1000 से भी ज्यादा लोग मारे गए। इसी साल मार्च महीने में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट के फैसले को माना जाएगा।

2003: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया। अप्रैल में इलाहाबाद हाइकोर्ट के कहने पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं। मई में सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के मामले में उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किए। अगस्त में भाजपा नेता और उप-प्रधानमंत्री ने विश्व हिंदू परिषद के इस अनुरोध को ठुकरा दिया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।

2004: लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।

2005: पांच हथियारबंद चरमपंथी हमलावरों ने विवादित परिसर पर हमला किया। इस हमलें में 5 चरमपंथियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नज़दीक ही मार डाले गए।

2009: 30 जून को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी। इस रिपोर्ट को आने में 17 सालों का वक्त लगा। ये रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश की गई। आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी।

2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को निर्मोही अखाड़ा, राम लला और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर बांटे जाने का फैसला सुनाया। लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

2011 में सुप्रीम कोर्ट नें हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया।

2017: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा उठाना शुरू किया। पार्टी ने चुनावों के लिए जारी घोषणापत्र में ‘संविधान के दायरे में सभी संभावित तरीकों से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण’ की बात कही।

11 मार्च, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे के निपटारे के लिए दोबारा से बातचीत के जरिए रास्ता निकाले जाने की बात कही।

31 मार्च, 2017: अयोध्या राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने जल्द सुनवाई की अर्जी दी थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जल्द सुनवाई संभव नहीं है। सभी पक्षों को और समय दिया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने स्वामी को झटका देते हुए कहा कि आप तो केस में पार्टी भी नहीं हैं।

आपको बता दें कि बाबरी विध्वंस को लेकर दो मामले दर्ज किए गए थे। एक बाबरी मस्जिद को गिराने वाले आरोप कारसेवकों पर चल रहा था और दूसरा मामला लोगों को उकसाने और साजिश रचने के लिए दर्ज किया गया, जिसमें आडवाणी समेत 13 लोग के नाम शामिल थे। साल 2001 में सीबीआई की कोर्ट ने उनके खिलाफ साजिश का मामला खारिज कर दिया था। अब कोर्ट ने रायबरेली की अदालत में आडवाणी, जोशी, उमा और तीन अन्य आरोपियों पर चल रहे मुकदमे को लखनऊ स्थानांतरित करने का आदेश दिया है ताकि ढांचा ढहाए जाने के मामलों की एक साथ सुनवाई हो सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here