70 के दशक में जब भी दुनिया में खूबसूरत महिलाओं की बात होती थी तो सबसे पहले अफगानिस्तान का नाम लिया जाता था। यहां की महिलाएं दुनियां के लिए फैशन आइकॉन थी। 3.8 करोड़ आबादी वाले इस देश में अब चारों तरफ गोलियों की गूंज सुनाई देती है। हवाओं में मशहूर अफगानी रोटी शीरमाल की मीठी – मीठी खुशबू नहीं बल्कि सांसों को चीर देने वाली बारूद की गंध है।

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। हर तरफ लोग अफगानिस्तान की सलामती की दुआ कर रहे हैं। उनके बारे में चर्चा हो रही हैं। आज हम इस खबर में अफगानी खाने, उनके पहनावे या कह ले अफगानिस्तान के इतिहास के बारे में बात कर रहे हैं।

शीरमाल की खुशबू

शीरमाल का नाम लेते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। यह एक तरह की अफगानी रोटी है जिसे मैदा से बनाया जाता है और मिठास भरने के लिए चासनी में डुबाया जाता है। अफगान के सूखे मेवे की पहचान दुनियाभर में बनी रही इसलिए इसे काजू बादाम से सजाय भी जाता है। शीरमाल अफगानियों का नास्ता है।

अफगानिस्तान का नाम सुनते ही ठंडे पठार, जंगजू जातियां, कंधारी मेवे और हींग की खुशबू याद आती है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि अफगानिस्तान टूरिस्ट स्पाट और खास भोजन की वजह से अपना वजूद रखता है। खास बात यह है कि अफगानिस्तान और भारत के मसालों में कोई खास फर्क नहीं है। भारतियो की तरह यहां पर भी धनिया, मिर्च, लहसून का खाने में इस्तेमाल होता है।

मेम्ने कबाब अफगानियों का पसंदीदा डिश है। अफगानी कबाब ज्यादातर चावल और नान के साथ परोसा जाता है। भेड़ चॉप, पसलियों, कोफता और चिकन कबाब यहां के रेस्तरां में खास तौर पर परोसा जाता है।

पहाड़ी भूमि वाला देश

अफगानिस्तान का क्षेत्रफल 652, 860 kms है। यह पहाड़ी भूमि से घिरा हुआ देश है। इसके पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान का बॉर्डर है। पश्चिम की तरफ तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और उत्तर की तरफ ताजिकिस्तान स्थित है। वहीं पूर्वोत्तर की तरफ चाइना स्थित है। आफगानिस्तान घूमने की बात आती है तो पर्यटकों की सबसे पहले नजर काबुल पर पड़ती है। काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है और देश का सबसे बड़ा आबादी वाला शहर है।

काबुल का प्रचीन नाम चबोलो, कोफीन, गाओफू, और काबूरा है। कंधार देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे प्रचीन भाषा में आराकोशिया कहते हैं। हेरात भी बड़े पर्यटन स्थलों में शामिल हैं। इसे प्रचीन भाषा में हराएवा और हरा कहते हैं। गजनी शहर भी अपनी सुंदरता की वजह से पर्यटकों के दिलों में बसता है। इसे प्राचीन भाषा में गजनीन, गजना, सेजेस्तान कहा जाता है। जलालाबाद अफगानिस्ता का चौथा सबसे बड़ा शहर है। इसका प्रचीन नाम नगरहार है। यह सभी जगहें अपनी ऊंची – ऊंची पहाड़ियों झीलों के लिए जानी जाती हैं।

200 भाषाएं बोली जाती हैं

अफगानिस्तान एक बहुभाषी देश है जिसमें दो भाषाएं – दारी और पश्तो – दोनों आधिकारिक और व्यापक रूप से बोली जाती हैं। दारी अफगानिस्तान में फारसी भाषा का आधिकारिक नाम है। इसे अक्सर अफगान फारसी के रूप में जाना जाता है। फारसी और पश्तो दोनों ईरानी भाषा उप-परिवार से भारत-यूरोपीय भाषाएं हैं। देश 40 से अधिक छोटी भाषाओं का घर है लगभग अलग अलग 200 तरह की बोली भाषाओं के साथ यहां पर लोग रहते हैं।

पारंपरिक पहनावा

पुरूषों के लिए यहां पर पारंपरिक तौर पर सलवार कुर्ते का चलन है वहीं महिलाओं की बात करें तो वे सलवार कमीज पहनती हैं। पर ये अफगानिस्तान का पारंपरिक पहनावा नहीं है यहां पर लोग पश्चिमी संस्कृती की तरह ही रहते थे लेकिन तालिबान की हुकूमत के कारण लोगों को फिर उसी कल्चर में वापस जाना पड़ रहा है।

इस तरह अफगानिस्तान खत्म होने लगा

अफगानिस्तान रूस के समर्थन से चल रहे जहीर शाह के शासन में आधुनिकता की ओर बढ़ रहा था। यही वह समय था जब तालिबान धीर धीरे अपना कदम बढा रहा था। साल 1990 में रुस ने अपनी सेना को वहां से बुला लिया और तालिबान ने खूनी खेल शुरू कर दिया। 1996 तक देश में तालिबान अपना कब्जा बना चुका था।

अफगानिस्तान से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उभार हुआ था। पश्तो भाषा में तालिबान का मतलब होता है छात्र खासकर ऐसे छात्र जो कट्टर इस्लामी धार्मिक शिक्षा से प्रेरित हों। कहा जाता है कि कट्टर सुन्नी इस्लामी विद्वानों ने धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से पाकिस्तान में इनकी बुनियाद खड़ी की थी।

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तालिबान पर देववंदी विचारधारा का पूरा प्रभाव है। तालिबान को खड़ा करने के पीछे सऊदी अरब से आ रही आर्थिक मदद को जिम्मेदार माना गया था। शुरू-शुरू में सामंतों के अत्याचार, अधिकारियों के करप्शन से आजीज जनता ने तालिबान में मसीहा देखा और कई इलाकों में कबाइली लोगों ने इनका स्वागत किया पर अफगानी जनता इस बात से अंजान थी कि वे अपने हाथ से ही अपने लिए कबर खोद रहे हैं। 

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