NATO क्या है?

नाटो की अपनी कोई सेना या दूसरा रक्षा सूत्र नहीं है बल्कि नाटो के सभी सदस्य देश आपसी समझ के आधार पर अपनी-अपनी सेनाओं के साथ योगदान करते हैं।

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NATO
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NATO यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन। उत्तरी अमेरिका और यूरोप का एक साझा राजनैतिक और सैन्य संगठन। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद साल 1949 में बने इस संगठन का उस वक्त सबसे बड़ा मकसद था सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को रोकना, साझा सुरक्षा की नीति पर काम करना।

NATO घोषणापत्र क्या है?

साझा सुरक्षा के बारे में सबसे अहम बात नाटो घोषणापत्र के आर्टिकल पांच में लिखी है जिसके मुताबिक, “उत्तरी अमेरिका या यूरोप के किसी एक या एक से ज्यादा सदस्यों पर हथियारों से हमला है तो माना जाएगा कि सब पर हमला हुआ है।हथियारबंद हमला होने की सूरत में हर कोई संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के आर्टिकल 51 के अनुसार, हमला झेल रहे पक्ष की अकेले या मिलकर जरूरी होने पर सैन्य मदद करेगा।

नाटो संधि के आर्टिकल 10 में सदस्य बनने के लिए खुला आमंत्रण दिया गया है। इसके मुताबिक, कोई भी यूरोपीय देश जो उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा को बढ़ावा और कायम रखना चाहता है, वह सदस्य बन सकता है। नाटो का सदस्य होने के लिए यूरोपीय देश होना एक जरूरी शर्त है लेकिन नाटो ने अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए कई अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित किए हैं।

नाटो की अपनी कोई सेना या दूसरा रक्षा सूत्र नहीं है बल्कि नाटो के सभी सदस्य देश आपसी समझ के आधार पर अपनी-अपनी सेनाओं के साथ योगदान करते हैं। यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि यदि किसी सदस्य देश में सिविल या कोई अन्य वॉर होता है तो नाटो वहां भागीदारी नहीं करेगा।

नाटो की फंडिंग सदस्य देश ही करते हैं और अमेरिका इसमें अहम भूमिका निभाता है। इसके बजट का तीन-चौथाई भाग अमेरिका देता है। 2020 में नाटो के सभी सदस्यों का संयुक्त सैन्य खर्च विश्व के कुल खर्च का 57% था।

NATO के सदस्य देश:

1949 में नाटो के मूल सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे। लेकिन अब सदस्य देशों की संख्या 30 के करीब पंहुच गई है। इसमें अब अल्बानिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक प्रतिनिधि, एस्तोनिया, जर्मनी, यूनान, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, मोंटेनेग्रो, उत्तर मैसेडोनिया, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन और तुर्की भी शामिल हैं।

अपने गठन के करीब पांच दशक बाद तक NATO ने कोई सैन्य अभियान नहीं चलाया था। लेकिन 1990 के दशक के बाद दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में NATO ने कई अभियान चलाए:

  • ऑपरेशन एंकर गार्ड
    NATO ने अपना पहला सैन्य अभियान कुवैत पर इराक के हमले के बाद चलाया था। ऑपरेशन एंकर गार्ड के जरिए तुर्की को हमले से बचाने के लिए वहां NATO के फाइटर प्लेन तैनात किए गए थे।
  • ऑपरेशन जॉइंट गार्ड
    1992 में यूगोस्लाविया के विघटन के बाद हुए बोस्निया और हर्जेगोविना युद्ध में NATO सेनाओं ने हिस्सा लिया था। NATO ने चार बोस्नियाई सर्ब वॉर प्लेन को मार गिराया था। ये NATO की पहली सैन्य कार्रवाई थी।
  • ऑपरेशन एलाइड फोर्स
    कोसोवो में अल्बानियाई मूल के लोगों पर अत्याचार के बाद मार्च 1999 में NATO ने यूगोस्लाविया की सेना के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।
  • अफगानिस्तान युद्ध
    अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद NATO ने अफगानिस्तान में तालिबानियों के खिलाफ जंग छेड़ी थी। ये NATO का नॉर्थ अटलांटिक क्षेत्र के बाहर पहला अभियान था।
  • NATO ट्रेनिंग मिशन इराक
    सद्दाम हुसैन के अंत के बाद अगस्त 2004 में इराकी सेनाओं की मदद के लिए वहां NATO ट्रेनिंग मिशन शुरू किया गया था।
  • लीबिया में सैन्य हस्तक्षेप
    लीबिया में कर्नल मुअम्मर गद्दाफी की सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प से गृह युद्ध छिड़ने के बाद मार्च 2011 में NATO सेनाओं ने आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए लीबिया में अपनी सेनाएं उतारी थीं।
https://youtu.be/SfcRfmxvWlk

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