Afghanistan की भूख मिटाने के लिए आगे आया भारत, आज 50,000 Metric Tonnes गेहूं पाकिस्तान से होते हुए पहुंचेगा अफगानिस्तान

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सामराज्यों के कब्रिस्तान अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के राज को पूरे 7 माह हो गए हैं। बंदूक वाली सरकार के राज में देश में भुखमरी बढ़ती जा रही है। यूएन के विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी डायरेक्टर डेविड बेस्ली (David Beasley) ने 27 अक्तूबर 2021 में बताया था कि, अफगानिस्तान की कुल 3 करोड़ 90 लाख की आबादी में से अभी करीब 2 करोड़ 28 लाख लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। देश में बढ़ती भुखमरी को देखते हुए भारत अफगानिस्तान की जनता का भूख मिटाने के लिए आगे आया है। भारत आज 50,000 Metric Tonnes गेहूं पाकिस्तान से होते हुए अफगानिस्तान भेजेगा।

Afghanistan के लिए रवाना होगा ट्रक

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गेहूं से लदे ट्रक को आज विदेश Secretary Harsh Vardhan Shringla हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। गेहूं से भरा ट्रक पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान जाने के लिए तैयार है। न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी किए गए वीडियो में दिख रहा है कि गेहूं से लदा ट्रक तैयार है।

अफगानिस्तान से गेहूं की बोरियां लदवाने के लिए भारत आए एक व्यक्ति ने मीडिया से कहा कि हम भारत का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं। हमारे बुरे वक्त में काम आने के लिए, अफगानिस्तान में खाने की किल्लत है। लोग गरीब हो चुके हैं। लोगों के पास पैसा नहीं है। हम हिंदुस्तान के शुक्रगुजार हैं।

वहीं एक अन्य व्यक्ति कहता है, हम अफगानिस्तान से भारत आए हैं। मैं बहुत खुश हूं कि भारत अफगानिस्तान को 50,000 मेट्रिक टन गेंहू दे रहा है। हम आज ट्रक को पाकिस्तान से होते हुए अफगानिस्तान लेकर जाएंगे।

Afghanistan में हालात बेहद खराब

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बता दें कि तालिबान का राज आने के बाद देश के हालात इतने खराब हैं कि लोग दो वक्त की रोटी के लिए अपने बच्चे तक बेचने के लिए तैयार हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान (Afghanistan) में ऐसे कई परिवार हैं जिन्होंने अपने बच्चों को बेच दिया है या बेचने के लिए तैयार हैं।

हाल ही में एक मां ने अपने बाकी बच्चों को भूखों मरने से बचाने के लिए अपनी कुछ महीने की बच्ची को 500 डॉलर यानी करीब 37 हजार रुपये में बेच दिया। मतलब अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से लोगों के लिए पेट भरना तक मुश्किल हो गया है। कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो चुके हैं और इलाज की कमी से जूझ रहे हैं।

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