भारत और अमेरिका ने कहा, आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में Afghanistan को इस्तेमाल ना करे Taliban

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भारत और अमेरिका ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल ना करे, दोनों देशों के अधिकारियों ने संयुक्त वार्ता की, जिसमें आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग का विस्तार पर भी चर्चा की गई।

भारत और अमेरिका ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल ना करे, दोनों देशों के अधिकारियों ने संयुक्त वार्ता की, जिसमें आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग का विस्तार पर भी चर्चा की गई।

आतंकवादी समूहों पर होगी ठोस कार्रवाई

भारतीय और अमेरिकी पक्षों ने अल-कायदा, आईएसआईएस, लश्कर-ए-तैयबा (LET) और जैश-ए-मोहम्मद (JM) जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की बात कही। दोनों देशों ने गुरुवार को बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में यह बात कही।

आतंकवाद के खिलाफ दोनों देश मिलकर करेंगे काम

अमेरिका-भारत व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनों देश सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे। 26 और 27 अक्टूबर को पुलिस प्रशिक्षण केंद्रीय अकादमी, हैदराबाद में आयोजित दो दिवसीय बैठक में दोनों देशों ने आपसी कानूनी और प्रत्यर्पण सहायता और द्विपक्षीय कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण के अवसरों पर चर्चा की। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की जनता और सरकार के साथ खड़े होने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल न करें।

मुंबई हमले को किया याद

बता दें कि दो दशक के युद्ध के बाद 31 अगस्त को अमेरिका की पूरी सेना की वापसी से दो हफ्ते पहले तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया था। संयुक्त अमेरिका और भारत ने सीमा पार आतंकवाद की कड़ी निंदा की। 2008 का मुंबई हमला भारत में सबसे भीषण आतंकवादी हमलों में से एक था, जिसमें छह अमेरिकियों सहित 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे। पाकिस्तान के 10 हथियारों से लैस आतंकवादियों ने देश की वित्तीय राजधानी में तबाही मचाई थी। जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी पर लटका दिया गया था।

यूएनएससी के प्रस्ताव 2593 (2021) के तहत, दोनों पक्षों ने तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने या प्रशिक्षित करने, या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जाए।

दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाले संभावित आतंकवादी खतरों पर परामर्श जारी रखने के लिए प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने नार्को-आतंक नेटवर्क और ट्रांस-नेशनल अवैध हथियारों की तस्करी पर सुचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भी प्रतिबद्धता जताई। यूएनएससी प्रस्ताव 2396 (2017) के अनुरूप, दोनों देशों के अधिकारियों ने आतंकवादियों के अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को रोकने के तरीकों पर चर्चा की।

साथ ही उन्होंने संयुक्त रूप से आतंकवादी खतरे की जानकारी साझा करने और आतंकवादी समूहों और व्यक्तियों को नामित करने के लिए प्राथमिकताओं और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान किया। इसके अलावा, दोनों देशों ने आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इंटरनेट के उपयोग को रोकने संबंधी तरीकों पर भी चर्चा की।

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