चीन बॉर्डर पर हो रही मिलिट्री एक्टिविटीज पर नजर रखने के उद्देश्य से इंडियन आर्मी को जल्द ही 600 ड्रोन दिए जाएंगे। इन ड्रोन्स को खरीदने में तकरीबन 950 करोड़ रुपए खर्च होंगे और इन्हें सभी बॉर्डर पोस्ट संभालने वाली इन्फैन्ट्री बटालियनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा। ये ड्रोन 5 हजार मीटर ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। इसके साथ ही ये ड्रोन 10 किलोमीटर एरिया के दायरे में आने वाली हर चीज पर नजर रखेंगे।

क्या हैं फैसले के पीछे की वजह-

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, आतंकी घुसपैठ और बॉर्डर पेट्रोलिंग के लिए ये फैसला लिया गया है। आर्मी बॉर्डर पार से आने वाले आतंकियों को सीमा पर ही दबोचने की रणनीति तैयार कर रही हैं । देश के लिए ख़ुशी की बात ये हैं कि एक साल के दौरान सेना ने 175 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया है।

10 किमी. तक की हर गतिविधि पर रखेंगे नजर-
ये ड्रोन 4 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं और इनकी रेंज 10 किलोमीटर की है। इस दायरे के भीतर आने वाली हर गतिविधि और वस्तु पर इन ड्रोनस की पैनी नजर रहेगी । ये ड्रोन लगातार तस्वीरें बटालियन कमांडर को भेजते रहेंगे।

इन ऑफिसर्स को दिए जायेंगे ये ड्रोन-
बॉर्डर पोस्ट को संभालने वाले इन्फेंट्री बटालियनों के अलावा एंटी टेररिज्म ऑपरेशन में लगी राष्ट्रीय राइफल्स को ये ड्रोन दिए जाएंगे।

कितना अहम है ये कदम?
डोकलाम में चीन की सेना के साथ दो महीने तक चले विवाद और बॉर्डर पार से बढ़ रही घुसपैठी के मद्देनजर ये इंडियन मिलिट्री की अनूठी पहल मानी जा सकती हैं। पिछले कुछ महीनों से वेस्टर्न बॉर्डर पर भी पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) के हमले बढ़े हैं। चीन से लगी 4 हजार किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर हर साल घुसपैठ के 350 से ज्यादा मामले सामने आते हैं।

किस स्टेज पर है ड्रोनों की खरीद?
आर्मी सोर्सेस के मुताबिक, ड्रोनों की खरीद के सौदे में शामिल कंपनियों के टेंडर्स की जांच की जा चुकी है। यूएवी का टैक्निकल वैल्युएशन और टेस्ट किया जा रहा है। जल्द ही इन टेस्ट को पास करने वाले ड्रोन को सेलेक्ट कर लिया जाएगा। ये सौदा इंडियन कंपनीज से ही किया जाएगा।

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