Rani Laxmibai की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी के झांसी पहुंचे। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, ‘आज तो शौर्य और पराक्रम की पराकाष्ठा हमारी रानी लक्ष्मीबाई की जयंती है! आज झांसी की ये धरती आज़ादी के भव्य अमृत महोत्सव की साक्षी बन रही है! और आज इस धरती पर एक नया सशक्त और सामर्थ्यशाली भारत आकार ले रहा है।’
100 सैनिक स्कूलों की शुरुआत
पीएम मोदी ने कहा, ‘ये 100 सैनिक स्कूल जिनकी शुरुआत होगी, ये आने वाले समय में देश का भविष्य ताकतवर हाथों में देने का काम करेंगे हमारी सरकार ने सैनिक स्कूलों में बेटियों के एड्मिशन की शुरुआत की है। 33 सैनिक स्कूलों में इस सत्र से गर्ल्स स्टूडेंट्स के एड्मिशन शुरू भी हो गए हैं। सैनिक स्कूलों से रानी लक्ष्मीबाई जैसी बेटियां भी निकलेंगी जो देश की रक्षा-सुरक्षा, विकास की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठाएंगी।’
पीएम ने कहा कि लंबे समय से भारत को दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदार देशों में गिना जाता रहा है। लेकिन आज देश का मंत्र है- Make In India, Make for world. आज भारत अपनी सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहा है।’
पीएम मोदी ने झांसी की रानी को किया नमन
उन्होंने कहा, ‘ये झांसी, रानी लक्ष्मीबाई की ये धरती बोल रही है- मैं तीर्थ स्थली वीरों की,मैं क्रांतिकारियों की काशी,मैं हूं झांसी, मैं हूं झांसी, मैं हूं झांसी, मैं हूं झांसी। मैं नमन करता हूं इस धरती से भारतीय शौर्य और संस्कृति की अमर गाथाएं लिखने वाले चंदेलों-बुंदेलों को, जिन्होंने भारत की वीरता का लोहा मनवाया! मैं नमन करता हूं बुंदेलखण्ड के गौरव उन वीर आल्हा-ऊदल को, जो आज भी मातृ-भूमि की रक्षा के लिए त्याग और बलिदान के प्रतीक हैं। ये धरती रानी लक्ष्मीबाई की अभिन्न सहयोगी रहीं वीरांगना झलकारी बाई की वीरता और सैन्य कौशल की भी साक्षी रही है।’
पीएम ने कहा, ‘मैं 1857 के स्वाधीनता संग्राम की उस अमर वीरांगना के चरणों में भी नमन करता हूं, अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं मैं झांसी के एक और सपूत मेजर ध्यानचंद जी का भी स्मरण करना चाहूंगा, जिन्होंने भारत के खेल जगत को दुनिया में पहचान दी।’
पीएम ने कहा, ‘अभी कुछ समय पहले ही हमारी सरकार ने देश के खेलरत्न अवार्ड्स को मेजर ध्यानचंद जी के नाम पर रखने की घोषणा की है। आज एक ओर हमारी सेनाओं की ताकत बढ़ रही है, तो साथ ही भविष्य में देश की रक्षा के लिए सक्षम युवाओं के लिए जमीन भी तैयार हो रही है।’
उन्होंने कहा, ‘ मेरे पीछे ये ऐतिहासिक झांसी का किला, इस बात का जीता जागता गवाह है कि भारत कभी कोई लड़ाई शौर्य और वीरता की कमी से नहीं हारा! रानी लक्ष्मीबाई के पास अगर अंग्रेजों के बराबर संसाधन और आधुनिक हथियार होते, तो देश की आज़ादी का इतिहास शायद कुछ और होता।’
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