Nowruz 2022: Google ने Colourful Flowers का Doodle बनाकर दी, पारसी नव वर्ष की शुभकामनाएं

Nowruz 2022: गूगल ने रविवार को रंगबिरंगे फूलों से सजा डूडल साझा कर पारसी नववर्ष यानी नौरोज की शुभकामनाएं दीं।

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Nowruz 2022
Nowruz 2022

Nowruz 2022: गूगल ने रविवार को रंगबिरंगे फूलों से सजा डूडल साझा कर पारसी नववर्ष यानी नौरोज की शुभकामनाएं दीं। सर्च इंजन ने दुनिया भर में सभी को नौरोज के मौके पर सदैव फूलों की तरह खिलने और खुश रहने का मंत्र साझा किया। दरअसल पारसी नववर्ष, जिसे नौरोज के नाम से भी जाना जाता है, एक धार्मिक त्योहार है जो ईरानी सौर / पारसी धर्म कैलेंडर के पहले महीने, फरवर्डिन के पहले दिन को चिह्नित करता है।
यानी वह दिन जो हर साल वसंत के दौरान मार्च के आसपास पड़ता है। दुनिया भर में विभिन्न जातीय समूहों द्वारा मनाया जाता है। लिहाजा Google ने भी वसंत की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करने के लिए फूलों, एक संगीत वाद्ययंत्र, मधुमक्खियों और एक कैटरपिलर के साथ एक बहुत ही रंगीन डूडल बनाकर सजाया है।

nowruz 20 march
Nowruz 2022

Nowraz 2022: शहंशाही कैलेंडर का पालन करता है पारसी समुदाय

इस साल का नवरोज आधिकारिक तौर पर 20 मार्च 2022 को पड़ रहा है, लेकिन ये दिन भारत में जुलाई के अंत या अगस्त में मनाया जाता है, क्योंकि यहां का पारसी समुदाय शहंशाही कैलेंडर का पालन करता है। जिसमें लीप वर्ष शामिल नहीं है।
यही कारण है, कि इस दिन का उत्सव अब अपनी मूल वसंत तिथि से लगभग 200 दिनों में स्थानांतरित हो गया है।
Google का कहना है, कि चूंकि नौरोज सबसे पुरानी छुट्टियों में से एक है। इसका एक समृद्ध इतिहास है, जोकि 3,000 वर्षों से अधिक पुराना है।
13 दिनों का उत्सव वसंत के साथ शुरू होता है, जब सूर्य भूमध्य रेखा को पार करता है।यह व्यापक रूप से पुनर्जन्म का प्रतीक है और प्रकृति के अनुरूप जीवन की पुष्टि है। यही वजह है,कि Google ने अपने डूडल पेज पर लिखा है।
नौरोज शब्द फारसी शब्द ‘नया’ और रुज यानी ‘दिन’ के संयोजन से लिया गया है। इतिहासकारों के अनुसार, ईरानी पौराणिक कथाओं में नौरोज के लिए कई मिथक हैं। मसलन नौरोज की नींव रखने का श्रेय एक ईरानी राजा जमशेद को जाता है। इस बात का जिक्र फारसी कवि फिरदौसी द्वारा एक लंबी महाकाव्य कविता में किया गया है।

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People Celebrating Nowruz in Iran

Nowruz 2022: राजा जमशेद को समर्पित है नौरोज
पारसी लोग नौरोज फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं,जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। पारसी लोग मानते हैं कि इस दिन पूरी कायनात बनाई गई थी। पारसी लोग नववर्ष के दिन विशेष पकवान बनाते हैं। इनमें मीठा रवा, सिवई, पुलाव, मछली तथा अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। घर आने वाले मेहमानों का स्वागत गुलाब जल छिड़कर किया जाता है। पारसी परंपरा के अनुसार इस दिन लोग मेज पर कुछ पवित्र वस्तुएं रखते हैं। इनमें जरथुस्त्र की तस्वीर, मोमबत्ती, दर्पण, अगरबत्ती, फल, फूल, चीनी, सिक्के आदि शामिल हैं। माना जाता है कि इससे परिवार के लोगों की आयु और समृद्धि बढ़ती है।

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Parsi People Worshipping in Agiyari

शहंशाही कैलेंडर का पालन करता है पारसी समुदाय
पारसियों के साल में तीन मुख्य त्योहार आते हैं। पहला खोरदाद साल, दूसरा भगवान प्रौफेट जरस्थ्रु का जन्मदिन और तीसरा 31 मार्च। पारसी धर्म में एक साल 360 दिन का होता है,जबकि बाकि के 5 दिन वो लोग ‘गाथा’ करते हैं। गाथा का अर्थ है अपने पूर्वजों को याद करने का दिन। पारसी लोग नया साल शुरू होने का जश्न मनाने के 5 दिन पहले से ही पूर्वजों के लिए पूजा-पाठ करते हैं।

ये लोग रात में 3.30 बजे खास पूजा-अर्चना करते हैं। जिस तरह हिंदू धर्म में पितृपक्ष मनाया जाता है। पारसी इन 5 दिनों के दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं। इनमें आग का महत्‍व बेहद खास है।पारसी समुदाय के लोग अग्नि मंदिर जिसे वे अपनी भाषा में आगीयारी भी कहते हैं, वहां जाकर पूजा-पाठ करते हैं। वहीं ईरान के कुछ हिस्सों में रहने वाले पारसी नया साल 31 मार्च को मनाते हैं।

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