Supreme Court ने Future Deal पर लगाई रोक, Amazon ने दायर की थी याचिका

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ मध्यस्थता मामले पर रोक की अपील पर फ्यूचर ग्रुप को नोटिस जारी किया है। अमेजन (Amazon) की ओर से इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। इस मामले पर सीजेआई ने हाई कोर्ट से सवाल करते हुए कहा कि फ्यूचर ग्रुप मामले पर सुनवाई कब शुरू होगी ? इसके बाद माननीय कोर्ट को यह जानकारी दी गई कि हाई कोर्ट मार्च के तीसरे हफ्ते में मामले की सुनवाई करेगा।

दिल्ली हाई कोर्ट ने अमेजन एनवी इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी और फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड के बीच ट्रिब्यूनल के समक्ष होने वाली आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की ओर से रोक के आदेश के खिलाफ अमेजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

Suprem Court
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सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी विदेशी कंपनी के आपात निर्णायक (ईए) का फैसला भारतीय मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम के तहत लागू करने योग्य है, बावजूद इसके ईए शब्द का प्रयोग यहां मध्यस्थता कानूनों में नहीं किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘ईए का आदेश धारा 17 (1) के तहत आने वाला आदेश है और इसे मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 17 (2) के तहत लागू करने योग्य है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्यूचर रिटेल की बिक्री को रोकने के लिए सिंगापुर आर्बिट्रेटर के फैसले को लागू किया जा सकता है। फ्यूचर रिटेल का रिलायंस रिटेल के साथ 3.4 अरब डॉलर (24,713 करोड़ रुपये) की डील आर्बिट्रेटर के फैसले को लागू करने के योग्य है।

हितधारकों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए फ्यूचर ग्रुप की ओर से कहा गया कि कानून में अभी कई विकल्प हैं। हम हितधारकों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने सिर्फ दो मुद्दों पर ही फैसला सुना दिया, जबकि मुख्य विवाद अभी बाकी है। हम आदेश की कॉपी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

डील बचाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। अभी हमें मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के फैसले का भी इंतजार है। इससे पहले फ्यूचर ग्रुप (FRL) ने कहा था कि अगर सौदा रद्द होता है, तो कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया के तहत ले जाना होगा। इससे 50 हजार कर्मचारियों और 6 हजार से ज्यादा छोटे-मझोले दुकानदारों पर असर पड़ेगा।

क्‍या है पूरा मामला


अमेजन ने अगस्त 2019 में 1,431 करोड़ रुपये चुकाकर फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। फ्यूचर कूपन्स के पास फ्यूचर रिटेल में करीब 10 फीसदी की हिस्सेदारी थी। यानी एक तरह से अमेजन ने फ्यूचर रिटेल में पैसा लगाने की शुरुआत की थी। अमेजन और फ्यूचर कूपन्स के बीच तय समझौते में इस बात का जिक्र था कि अमेजन तीन से 10 साल बाद फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी।

ये भी तय हुआ कि फ्यूचर रिटेल अपनी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज को नहीं बेचेगी। उसके बाद कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया और फ्यूचर रिटेल की हालत खराब हो गई।

आखिरकार इस कंपनी को बेचने का फैसला लिया गया। वहीं अगस्त 2020 में रिलायंस ने 24,713 करोड़ रुपये में फ्यूचर रिटेल खरीदने की घोषणा कर दी। अमेजन ने डील रोकने के लिए सिंगापुर के कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने डील पर रोक लगा दी। अमेजन का कहना था कि फ्यूचर रिटेल ने उससे बिना पूछे रिलायंस के साथ डील की, जो समझौते का उल्लंघन है।

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